Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Dec, 2024 12:43 PM
केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पूर्वोत्तर भारत में 2014 के बाद से हुए ऐतिहासिक बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, परिवहन, शिक्षा और जैविक खेती के क्षेत्र...
बिजनेस डेस्कः केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पूर्वोत्तर भारत में 2014 के बाद से हुए ऐतिहासिक बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, परिवहन, शिक्षा और जैविक खेती के क्षेत्र में बड़ी प्रगति हुई है, जिससे यह क्षेत्र विकास का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
बजट आवंटन में भारी वृद्धि
पिछले 10 वर्षों में, पूर्वोत्तर क्षेत्र को आवंटित बजट में 300% से अधिक की वृद्धि देखी गई है। 2014 में ₹36,108 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹94,680 करोड़ तक का बजट आवंटन किया गया। यह वृद्धि सरकार के इस क्षेत्र में विकास अंतर को पाटने और समग्र प्रगति सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सड़क और रेल कनेक्टिविटी में सुधार
सड़क और रेलवे के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या 2014 में 80 से बढ़कर 2023 में 103 हो गई है। इसके अलावा, क्षेत्र में 4,016 किमी से अधिक सड़क परियोजनाओं पर काम जारी है, जिससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है बल्कि आर्थिक अवसर भी बढ़ रहे हैं। रेलवे ने ब्रॉड-गेज लाइनों का 100% विद्युतीकरण पूरा कर लिया है, जो अधिक स्थिरता और दक्षता प्रदान करता है।
हवाई परिवहन का विस्तार
पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर में हवाई अड्डों की संख्या 17 तक पहुंच गई है, जिससे क्षेत्र में कनेक्टिविटी और पर्यटन को बढ़ावा मिला है। साप्ताहिक उड़ानों में 113% की वृद्धि से व्यापार और पर्यटन को प्रोत्साहन मिला है।
शिक्षा और कृषि में विकास
शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। विश्वविद्यालयों की संख्या में 39% की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, जैविक खेती के क्षेत्र में 1.55 लाख हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया गया है, जिससे टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिला है।
डिजिटल क्रांति और जलमार्गों का पुनरुद्धार
डिजिटल समावेशन में सुधार करते हुए 4G सेवाओं को लगभग पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में पहुंचाया गया है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी संभव हो सकी है। साथ ही, क्षेत्र के नदी नेटवर्क को पुनर्जीवित किया गया है, जिससे आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल परिवहन साधनों का विकास हो रहा है।
पूर्वोत्तर भारत अब मजबूत बुनियादी ढांचे, बेहतर कनेक्टिविटी, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में उन्नति के साथ देश के समग्र विकास मॉडल का प्रतीक बन चुका है। यह परिवर्तन क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक बड़ी छलांग है।