Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Jan, 2025 10:51 AM
ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। कई बार ग्राहकों को महंगे और उच्च गुणवत्ता वाले आइटम के बदले सस्ता या घटिया सामान भेजा जाता है लेकिन अब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने...
बिजनेस डेस्कः ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। कई बार ग्राहकों को महंगे और उच्च गुणवत्ता वाले आइटम के बदले सस्ता या घटिया सामान भेजा जाता है लेकिन अब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की हैं, जो ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। यह गाइडलाइंस सेल्फ रेगुलेटरी होंगी और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तैयार की गई हैं, जिन्हें फूड एंड कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय की देखरेख में अंतिम रूप दिया गया है। इन गाइडलाइंस के तहत, कैश ऑन डिलीवरी में रिफंड की प्रक्रिया को ग्राहक की पसंद के अनुरूप बनाया जाएगा। इस मसौदे पर संबंधित पक्षों से 15 फरवरी तक सुझाव मांगे गए हैं।
गाइडलाइंस तीन चरणों- लेनदेन के पहले, कॉन्ट्रैक्ट निर्माण और लेनदेन के बाद के स्टेज पर आधारित हैं। इसके अनुसार, प्लैटफॉर्म्स को बिजनेस पार्टनर्स, खासकर थर्ड-पार्टी सेलर्स का KYC करना जरूरी होगा। प्रोडक्ट की डिटेल जानकारी जैसे टाइटल, सेलर के कॉन्टैक्ट की जानकारी, आईडेंटिफिकेशन नंबर देना जरूरी होगा, ताकि कंज्यूमर प्रोडक्ट की उपयोगिता का आकलन कर सकें। इंपोर्टेड सामानों सामानों के लिए, प्लैटफॉर्म्स पर इंपोर्टर, पैकर और सेलर की डिटेल प्रमुखता से प्रदर्शित करना जरूरी होगा।
पेमेंट ऑप्शन
कॉन्ट्रैक्ट निर्माण गाइडलाइंस के मुताबिक, ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स कंज्यूमर की सहमति लेने, लेनदेन के रिव्यू के साथ ही कैंसलेशन, रिटर्न और रिफंड की पारदर्शी नीतियां रखनी होंगी। प्लैटफॉर्म्स को कंज्यूमर्स के लिए पूरे लेनदेन का रेकॉर्ड उपलब्ध कराना होगा। पेमेंट ऑप्शन जैसे क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल पेमेंट, ई-वॉलेट और बैंक ट्रांसफर उपलब्ध कराने होंगे। इसके साथ ही प्रोसेसिंग चार्ज की पूरी जानकारी देनी जरूरी होगी। प्लैटफॉर्म्स को इन्क्रिप्शन और दो-स्तरीय ऑथेंटिफिकेशन के साथ सुरक्षित पेमेंट सिस्टम लागू करना होगा। रेकरिंग पेमेंट के लिए, समय, अंतराल और अमाउंट की साफ जानकारी के साथ आसान ऑप्ट-आउट प्रसीजर रखना होगा। कैश-ऑन डिलिवरी रिफंड कंज्यूमर की पसंद के अनुसार किया जाएगा।
लेनदेन के बाद की गाइडलाइंस में नकली प्रोडक्ट के लिए रिफंड, रिप्लेसमेंट और एक्सचेंज के लिए साफ समयसीमा रखने की बात कही गई है। साथ ही समय पर डिलिवरी की जानकारी भी देने को कहा गया है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स पर कंज्यूमर के लिए सुरक्षित और पारदर्शी एक्सपीरियंस सुनिश्चित करना है। ड्राफ्ट गाइडलाइंस में जिक्र किया गया है, ‘ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन और विश्वास को लेकर नई चुनौतियां पेश की हैं। इस मामले में सेल्फ-गवर्नेंस के लिए साफ और प्रभावी नियमों और मानदंडों का महत्व बहुत अधिक है।’