Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Nov, 2024 10:50 AM
एक बार फिर से प्याज की कीमतें रुलाने लगी हैं और खुदरा बाजार में इसकी कीमत 80 रुपए प्रति किलो को पार कर गई है। नई फसल की कमी और निर्यात में वृद्धि के कारण प्याज की कीमतों में तेजी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक में...
बिजनेस डेस्कः एक बार फिर से प्याज की कीमतें रुलाने लगी हैं और खुदरा बाजार में इसकी कीमत 80 रुपए प्रति किलो को पार कर गई है। नई फसल की कमी और निर्यात में वृद्धि के कारण प्याज की कीमतों में तेजी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक में खरीफ फसल की गुणवत्ता खराब रहने के कारण पुरानी और महंगी फसल की मांग बढ़ गई है। इसके साथ ही निर्यात मांग में भी तेजी देखने को मिल रही है। इन वजहों के चलते प्याज की कीमत आसमान पर पहुंच गई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, नासिक के पिंपलगांव बाजार में बेहतरीन गुणवत्ता वाले प्याज की कीमत 15 दिन पहले 51 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 70 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। इसी अवधि में औसत कीमत 51 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 58 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। बांग्लादेश द्वारा प्याज पर आयात शुल्क हटाने से निर्यात में भी तेजी आई है। व्यापारियों को उम्मीद है कि देश के अन्य हिस्सों में नई फसल की आवक शुरू होने के बाद 8-10 दिनों में कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है।
पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची कीमत
पिछले हफ्ते नासिक के बेंचमार्क लासलगांव बाजार में प्याज की कीमतें पांच साल के उच्चतम स्तर 54 रुपए प्रति किलोग्राम को पार कर गईं। व्यापारियों ने कहा कि ऐसा आपूर्ति की कमी के कारण हुआ, क्योंकि दिवाली के लिए देशभर में कई दिनों तक थोक बाजार बंद रहे। पिछले हफ्ते थोक कीमतों में 30 से 35% की वृद्धि हुई।
आवक हुई काफी कम
बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि आवक कम होने के कारण कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले साल की रबी फसल से संग्रहित प्याज तेजी से खत्म हो रहा है। मार्च/अप्रैल में काटे गए प्याज की कीमतें सबसे अधिक हैं, जबकि सितंबर में भारी बारिश के कारण नई फसल की आवक में देरी हुई है।
निर्यात में तेजी भी बड़ा कारण
बांग्लादेश की ओर से स्थानीय प्याज की कीमतों को कम करने के लिए 15 जनवरी तक प्याज पर आयात शुल्क हटाने से निर्यात में भी उछाल आया है। भारत ने सितंबर में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले प्याज पर निर्यात शुल्क को आधा करके 20% कर दिया था, क्योंकि प्याज किसान प्याज के निर्यात पर बैन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ मतदान करने के लिए एकजुट हुए थे।