पिछले 10 वर्षों में सिर्फ 4 राज्यों ने कर्ज के स्तर में की कमी: अध्ययन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Feb, 2025 12:29 PM

only 4 states reduced debt levels in last 10 years study

एक नए अध्ययन के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में केवल चार राज्य- गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र ही अपने कर्ज से राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) अनुपात को कम करने में सफल रहे हैं। वहीं, पंजाब और तमिलनाडु सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे...

नई दिल्ली: एक नए अध्ययन के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में केवल चार राज्य- गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र ही अपने कर्ज से राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) अनुपात को कम करने में सफल रहे हैं। वहीं, पंजाब और तमिलनाडु सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे हैं, जहां कर्ज-GSDP अनुपात में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

राष्ट्रीय परिषद आर्थिक अनुसंधान (NCAER) के अर्थशास्त्री बैरी आइशेंग्रीन और एजेंसी की प्रमुख पूनम गुप्ता द्वारा किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि 2027-28 तक पंजाब और संभवतः राजस्थान का कर्ज-GSDP अनुपात 50% से अधिक हो सकता है, जिससे तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है।

राज्यों के लिए नई वित्तीय नीतियों की सिफारिश

अध्ययन में वित्त आयोग की भूमिका पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त आयोग को करों के वितरण में राज्यों के वित्तीय अनुशासन पर ध्यान देने के लिए कहा जाना चाहिए। वर्तमान प्रणाली में बड़े राजस्व घाटे वाले राज्यों को अधिक संसाधन आवंटित किए जाते हैं, जिससे यह एक नैतिक संकट (Moral Hazard) की स्थिति पैदा करता है और गैर-जिम्मेदार वित्तीय नीतियों को बढ़ावा देता है।

राज्यों की कर्ज समस्या और संभावित समाधान

रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कई राज्य सरकारें चुनावी वादों और सब्सिडी पर भारी खर्च कर रही हैं, जिससे उनका वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अत्यधिक कर्ज में डूबे राज्यों को सीमित राहत दी जा सकती है, बशर्ते वे केंद्र सरकार की अतिरिक्त निगरानी और वित्तीय स्वायत्तता में अस्थायी कटौती को स्वीकार करें।

राज्यों के लिए सुझाए गए सुधार

  • स्वतंत्र वित्तीय परिषदों की स्थापना: राज्यों में स्वतंत्र वित्तीय परिषद बनाई जाए जो उनके बजट अनुमानों और खर्चों की वास्तविकता की जांच करे।
  • राजस्व बढ़ाने के उपाय: डिजिटल तकनीक का उपयोग कर प्रशासनिक सुधार, कर आधार का विस्तार, संपत्ति कर में वृद्धि, और नए करों को अपनाने पर जोर दिया जाए।
  • खर्च में सुधार: निजीकरण से प्राप्त राशि का उपयोग कर पूंजीगत और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाया जाए।

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता बढ़ रही है और यह स्पष्ट संकेत देती है कि वित्तीय अनुशासन और रणनीतिक सुधारों की सख्त जरूरत है।

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