Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Mar, 2025 03:52 PM

केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने 19 मार्च 2025 को भारी उद्योग मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, वरिष्ठ अधिकारी और समिति के...
नई दिल्ली: केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने 19 मार्च 2025 को भारी उद्योग मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, वरिष्ठ अधिकारी और समिति के सदस्य उपस्थित रहे।
बैठक में भारी विद्युत उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा हुई, जिससे भारत के सतत गतिशीलता और बुनियादी ढांचे के विकास को गति दी जा सके।
भारी विद्युत उपकरणों का निर्माण
मंत्री कुमारस्वामी ने बैठक में भारत की औद्योगिक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "विकसित भारत 2047" दृष्टि के तहत देश को एक वैश्विक निर्माण और निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निर्माण क्षेत्र भारत की जीडीपी में 17% का योगदान देता है और इंजीनियरिंग, पूंजीगत वस्तुएं, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्र इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय पूंजीगत वस्तु क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, FAME और PLI योजनाएं घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। सरकार की "मेक इन इंडिया" और PLI योजना जैसी पहलों के कारण निर्माण क्षेत्र में 27.3 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को ऊर्जा उत्पादन, ट्रांसमिशन और औद्योगिक समाधान के क्षेत्र में प्रमुख योगदानकर्ता बताया गया, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा
भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के निर्बाध, सतत और समावेशी परिवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने FAME-II, PM ई-ड्राइव और PLI योजनाओं का उल्लेख किया, जो भारत में ईवी निर्माण को गति देने के लिए लागू किए गए हैं।
सरकार के प्रयासों से 2024 में 19 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण हुआ, जो 2023 में 15 लाख था। भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग जीडीपी में 6.8% का योगदान देता है और करीब 3 करोड़ नौकरियां उत्पन्न करता है। EV उत्पादन को बढ़ाने और भारत को वैश्विक बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के लिए विभिन्न नीतियाँ बनाई गई हैं।
FAME योजना के तहत 7,400 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी गई, जिससे शहरी परिवहन में सुधार हुआ है। PLI योजना के तहत पाँच वर्षों में 25,938 करोड़ रुपए के बजट से भारत की ऑटोमोबाइल विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है। SMEC योजना वैश्विक EV निर्माताओं को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जबकि PM ई-ड्राइव योजना 10,900 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ सतत गतिशीलता को समर्थन दे रही है।