Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Aug, 2024 12:42 PM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इस विधेयक के तहत जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार लाने, बैंकों...
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इस विधेयक के तहत जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार लाने, बैंकों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को किए जाने वाले खुलासों में निरंतरता सुनिश्चित करने और सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए चार मौजूदा बैंकिंग कानूनों में संशोधन किया जाएगा।
निवेशक सुरक्षा और IEPF
सरकार भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम में संशोधन के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहती है कि निवेशकों द्वारा लगातार सात वर्षों तक दावा न किए गए लाभांश, शेयर, ब्याज या परिपक्व बॉन्ड को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (IEPF) में स्थानांतरित किया जा सके। इससे निवेशकों को आईईपीएफ से अपनी रकम या रिफंड का दावा करने की अनुमति मिलेगी, जिससे उनके हितों की रक्षा होगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्वामित्व
हालांकि, इस विधेयक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के स्वामित्व ढांचे में बदलाव की कोई प्रस्तावना नहीं की गई है। वित्त मंत्री ने वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में आईडीबीआई बैंक के अलावा दो अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।
विधेयक के प्रमुख बिंदु
सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल: विधेयक के तहत सहकारी बैंकों में निदेशकों (चेयरमैन और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर) का कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है। सांविधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तिथियां: बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक को सांविधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तिथियों में भी संशोधन किया जाएगा। वर्तमान तिथि को मौजूदा शुक्रवार से बदलकर पखवाड़े, महीने या तिमाही के अंतिम दिन करने का प्रस्ताव है।
कानूनों का सामंजस्य और पारदर्शिता
इकनॉमिक लॉ प्रैक्टिस के वरिष्ठ वकील मुकेश चंद ने कहा कि इस विधेयक के तहत भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम के प्रावधानों को कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुरूप करने की कोशिश की गई है। उन्होंने बताया कि इन कानूनों में सामंजस्य स्थापित करके यह संशोधन निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए समान दृष्टिकोण स्थापित करेगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों के हितों की बेहतर रक्षा होगी।