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सोने की रिकॉर्ड कीमतों ने बढ़ाई दुबई जूलर्स की चिंता, भारतीय ग्राहकों की खरीद घटी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Apr, 2025 12:20 PM

problems of dubai jewelers increased huge surge in gold prices

दुबई, जिसे दशकों से 'सिटी ऑफ गोल्ड' कहा जाता है, आज सोने के बढ़ते दामों से जूझ रहा है। इस साल की शुरुआत से ही सोने की कीमतों

बिजनेस डेस्कः दुबई, जिसे दशकों से 'सिटी ऑफ गोल्ड' कहा जाता है, आज सोने के बढ़ते दामों से जूझ रहा है। इस साल की शुरुआत से ही सोने की कीमतों में लगभग 30% की बढ़त देखी गई है। मंगलवार को सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत $3,500 प्रति औंस के पार पहुंच गई, जबकि भारत में इसका खुदरा मूल्य 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम से ऊपर निकल गई।

भारतीय खरीदारों की वापसी चुनौती बन गई

दुबई पिछले 80 सालों से सोने के चाहने वालों के लिए खास जगह रही है। एक समय था जब भारतीय और ईरानी ग्राहक दुबई के गोल्ड सूक की रौनक बढ़ाते थे लेकिन अब भारत सरकार द्वारा सोने पर आयात शुल्क 15% से घटाकर 6% किए जाने के बाद, दुबई के बाजार की प्रतिस्पर्धा घट गई है। भारतीय खरीदार अब घरेलू बाजार से ही खरीदारी करने लगे हैं, जिससे दुबई के जूलर्स को झटका लगा है।

डिजाइन और क्वालिटी पर ध्यान

भारतीय खरीदारों को आकर्षित करने के लिए दुबई के जूलर्स अब सिर्फ कीमत नहीं, बल्कि बेहतर डिजाइन और क्वालिटी पर ध्यान दे रहे हैं। वे तुर्की, इटली और सिंगापुर से नए ट्रेंड के गहने मंगा रहे हैं और साथ ही कलकत्ता के पारंपरिक डिजाइन और मंदिर शैली के गहनों को फिर से बाजार में ला रहे हैं। 'दुबई रिंग' जैसे गहनों में अब लैब-ग्रोन डायमंड का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि कीमतें भी काबू में रहें।

खरीदारी में गिरावट, लैब डायमंड का बोलबाला

दुकानदारों के अनुसार, बढ़ती कीमतों के कारण ग्राहकों की संख्या में कमी आई है। अब ग्राहक कम वजन के गहने या लैब में बने हीरे ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इनकी कीमत कम होने के साथ-साथ स्टाइलिश लुक भी आकर्षित करता है।

अंतरराष्ट्रीय कारकों का असर

सोने की कीमतों में यह उछाल सिर्फ मांग-आपूर्ति का परिणाम नहीं है। अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव, डॉलर की कमजोरी, और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता जैसे कारणों ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख की आलोचना और नीति बदलावों ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है, जिससे वे सोने को सुरक्षित निवेश विकल्प मानकर ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं।

2025 तक मांग में और गिरावट की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो 2025 तक भारत और खाड़ी देशों में गहनों की मांग में और गिरावट आ सकती है। क्योंकि इन क्षेत्रों में गहनों की खरीदारी का तरीका लगभग एक जैसा है- मुख्य रूप से त्योहारों और शादियों में।

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