Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Oct, 2024 11:06 AM
पिछले तीन महीनों में दालों की थोक कीमतों में लगभग 10% की गिरावट के बावजूद, खुदरा बाजार में दालों की कीमतें कम नहीं हुई हैं। इस स्थिति को देखते हुए, सरकार ने खुदरा विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि वे थोक कीमतों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं तक...
बिजनेस डेस्कः पिछले तीन महीनों में दालों की थोक कीमतों में लगभग 10% की गिरावट के बावजूद, खुदरा बाजार में दालों की कीमतें कम नहीं हुई हैं। इस स्थिति को देखते हुए, सरकार ने खुदरा विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि वे थोक कीमतों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं। अगर खुदरा विक्रेता अनुचित लाभ कमाने की कोशिश करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
इस मुद्दे पर एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने भारतीय खुदरा विक्रेताओं के संघ (RAI) और प्रमुख खुदरा श्रृंखलाओं के साथ चर्चा की। यह बैठक त्योहारी सीजन से पहले हुई ताकि दालों की कीमतें स्थिर रह सकें।
थोक कीमतों में आई गिरावट के बावजूद खुदरा कीमतें न घटने का कारण खुदरा विक्रेताओं द्वारा अनुचित लाभ मार्जिन बताया गया है। सरकार ने इस स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की बात कही है और खुदरा विक्रेताओं से अपील की है कि वे कीमतों को उपभोक्ताओं के लिए किफायती बनाए रखने में मदद करें।
इसके अलावा बैठक में दालों की उपलब्धता के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। मूंग और उड़द जैसी खरीफ दालों की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है, जबकि तुअर और उड़द का आयात पूर्वी अफ्रीका और म्यांमार से जारी है। सरकार रबी की बुवाई की तैयारी में भी लगी है और दाल उत्पादन को बढ़ाने के लिए योजनाएं लागू कर रही है।