Burger King: पुणे की बर्गर किंग से हार गई अमेरिकी कंपनी, 13 साल बाद मिली कानूनी जीत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Aug, 2024 11:42 AM

pune s burger king defeated the american company in a 13 year legal battle

पुणे के Burger King ने 13 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अंतरराष्ट्रीय फास्ट-फूड कंपनी बर्गर किंग कॉरपोरेशन के खिलाफ जीत दर्ज की है। पुणे के वाणिज्यिक अदालत के जिला न्यायाधीश सुनील वेदपाठक ने मल्टीनेशनल कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए स्थानीय कंपनी को...

बिजनेस डेस्कः पुणे के Burger King ने 13 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अंतरराष्ट्रीय फास्ट-फूड कंपनी बर्गर किंग कॉरपोरेशन के खिलाफ जीत दर्ज की है। पुणे के वाणिज्यिक अदालत के जिला न्यायाधीश सुनील वेदपाठक ने मल्टीनेशनल कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए स्थानीय कंपनी को उनके नाम के साथ अपना व्यवसाय जारी रखने की अनुमति दी है। 

विवाद की शुरूआत

यह विवाद तब शुरू हुआ, जब बर्गर किंग कॉरपोरेशन ने पुणे स्थित 'बर्गर किंग' के मालिको शापूर और अनाहिता ईरानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी।

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बर्गर किंग कॉरपोरेशन का दावा

अमेरिकी कंपनी बर्गर किंग कॉरपोरेशन (Burger King Corporation), जिसके दुनिया भर में 13,000 से अधिक रेस्टोरेंट्स हैं, ने पुणे के एक रेस्टोरेंट को 'बर्गर किंग' नाम का इस्तेमाल करने से रोकने का प्रयास किया था। कंपनी ने ट्रेडमार्क उल्लंघन और इससे हुए आर्थिक नुकसान का दावा करते हुए मामला दायर किया था। 

ईरानी परिवार के पक्ष में हुआ फैसला

जस्टिस सुनील वेदपाठक ने 16 अगस्त को अपने फैसले में ईरानी परिवार के पक्ष में निर्णय सुनाया। उन्होंने कहा कि पुणे का Burger King इस नाम और ट्रेडमार्क का उपयोग 1992 से कर रहा है, जबकि अमेरिकी कॉरपोरेशन ने उस समय भारत में अपना ट्रेडमार्क पंजीकृत नहीं करवाया था।

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2014 में इंटरनेशनल कंपनी की भारत में  हुई एंट्री 

अदालत ने कहा कि इंटरनेशनल कंपनी ने तकरीबन 30 साल से भारत में इस नाम से ऑपरेट नहीं किया है, जबकि पुणे के रेस्टोरेंट ने 'बर्गर किंग' के नाम से लगातार सेवा मुहैया कराई है। अमेरिकी बर्गर किंग की स्थापना 1954 में हुई थी और भारत में उसकी एंट्री 2014 में हुई थी। बाद में उसे पता चला कि इसी नाम से यहां स्थानीय रेस्टोरेंट पहले से चल रहा है। इसके बाद अमेरिकी कंपनी ने मुकदमा दायर कर कहा था कि पुणे में इस नाम के लोकल रेस्टोरेंट की वजह से उसके ब्रांड की साख को काफी नुकसान हो रहा है।

इसके जवाब में ईरानी का कहना था कि यह मुकदमा गलत नीयत से दायर किया गया है और इसका मकसद सही बिजनेस ऑपरेटर्स को डराना है। 
 

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