Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Oct, 2024 06:06 PM
नीतिगत दर निर्धारण के समय खाद्य कीमतों को गणना से बाहर रखे जाने के सुझावों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने खाद्य कीमतों को मुख्य मुद्रास्फीति में जगह न दिए जाने से असहमति जताते हुए कहा है कि इससे केंद्रीय बैंक के...
बिजनेस डेस्कः नीतिगत दर निर्धारण के समय खाद्य कीमतों को गणना से बाहर रखे जाने के सुझावों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने खाद्य कीमतों को मुख्य मुद्रास्फीति में जगह न दिए जाने से असहमति जताते हुए कहा है कि इससे केंद्रीय बैंक के प्रति लोगों का भरोसा कम होगा। राजन ने कहा कि मुद्रास्फीति एक ऐसे समूह को लक्षित करे जिसमें उपभोक्ता के उपभोग वाली चीजें हों। यह मुद्रास्फीति के बारे में उपभोक्ताओं की धारणा और अंततः मुद्रास्फीति की उम्मीदों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं गवर्नर बना था, उस समय भी हम पीपीआई (उत्पादक मूल्य सूचकांक) को लक्षित कर रहे थे लेकिन इसका एक औसत उपभोक्ता के समक्ष पेश होने वाली चुनौतियों से कोई लेना-देना नहीं होता है।''
राजन ने कहा, ‘‘ऐसे में जब आरबीआई कहता है कि मुद्रास्फीति कम है तो पीपीआई पर नजर डालें। अगर उपभोक्ता कुछ अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तो वे वास्तव में यह नहीं मानते कि मुद्रास्फीति कम हुई है।'' वह मानक ब्याज दरें तय करते समय खाद्य मुद्रास्फीति को गणना से बाहर रखने के बारे में आर्थिक समीक्षा 2023-24 में आए सुझावों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप मुद्रास्फीति के कुछ सबसे अहम हिस्सों को छोड़ देते हैं और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में बताते हैं लेकिन खाद्य कीमतें या मुद्रास्फीति की ‘टोकरी' में नहीं रखे गए किसी अन्य खंड की कीमतें आसमान छू रही हैं तो आप जानते हैं कि लोगों को रिजर्व बैंक पर बहुत भरोसा नहीं होगा।''
आर्थिक समीक्षा 2023-24 में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत दर निर्धारण की प्रक्रिया से खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि मौद्रिक नीति का खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है क्योंकि कीमतें आपूर्ति पक्ष के दबावों से तय होती हैं। वर्तमान में अमेरिका स्थित शिकॉगो बूथ में वित्त के प्रोफेसर राजन ने इस दलील पर कहा, ‘‘आप अल्पावधि में खाद्य कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकते लेकिन यदि खाद्य कीमतें लंबे समय तक अधिक रहती हैं तो इसका मतलब है कि मांग के सापेक्ष खाद्य उत्पादन पर कुछ बंदिशें हैं। इसका अर्थ है कि इसे संतुलित करने के लिए आपको अन्य क्षेत्रों में मुद्रास्फीति को कम करना होगा।''
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ हाल में लगे कई आरोपों पर कहा कि इसे लेकर सजग रहना होगा क्योंकि कोई भी किसी भी समय आरोप लगा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर आरोपों की पर्याप्त जांच हुई है तो नियामक के लिए सभी आरोपों से परे होना बेहद अहम है। इसका मतलब है कि उसे आरोपों को बिंदुवार संबोधित करना होगा।'' सेबी प्रमुख के खिलाफ लगे आरोपों को हितों के टकराव का मामला बताते हुए राजन ने कहा कि आरोपों की जितनी विस्तृत जांच हुई है, उतना ही विस्तृत बिंदुवार जवाब होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, मुझे लगता है कि हमारे विनियामक का यथासंभव विश्वसनीय होना महत्वपूर्ण है।'' पिछले महीने माधबी और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिसर्च और कांग्रेस की तरफ से लगाए गए अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि ये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित हैं।