ग्लोबल कमर्शियल रियल एस्टेट संकट पर RBI गवर्नर का अलर्ट, शॉर्ट सेलर्स से बैंकिंग क्षेत्र को खतरा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Sep, 2024 01:15 PM

rbi governor alerts on global commercial real estate crisis

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह किया कि वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र में दबाव के कारण बैंक शॉर्ट सेलर्स के निशाने पर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे नकदी की कमी जैसी समस्या पैदा हो सकती है। सिंगापुर में ब्रेटन...

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह किया कि वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र में दबाव के कारण बैंक शॉर्ट सेलर्स के निशाने पर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे नकदी की कमी जैसी समस्या पैदा हो सकती है। सिंगापुर में ब्रेटन वुड्स कमेटी द्वारा आयोजित फ्यूचर ऑफ फाइनैंस फोरम 2024 को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट (सीआरई) क्षेत्र में दबाव पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।

आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक वित्तीय स्थिरता जो​खिम के बारे में बताते हुए कहा, ‘बैंक अपने ऋण बहीखाते में अपेक्षाकृत उच्च सीआरई कवरेज अनुपात के कारण अपेक्षित और अप्रत्याशित सीआरई नुकसान के प्रति अ​धिक संवेदनशीलता दिखाते हैं। इसके अलावा वैश्विक वाणिज्यिक रियल एस्टेट में बड़े निवेश वाले बैंकों के लिए नकदी की कमी हो सकती है, क्योंकि शॉर्ट सेलर्स उन्हें निशाना बना सकते हैं। इससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है।’

दास ने जोर देकर कहा कि नियामकों को सतर्क रहना चाहिए और प्रणालीगत ​​स्थिरता एवं बैंक बहीखाते पर जो​खिम से निपटने के लिए दूरदर्शी नियामकीय उपाय करने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, सीआरई कीमतों में वै​श्विक स्तर पर 12 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा यह क्षेत्र उच्च रिक्ति दरों और बढ़ती ऋण लागत के प्रति भी संवेदनशील बना हुआ है।

जहां तक भारत का सवाल है तो वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र का बैंक ऋण 28 जून, 2024 तक 22.8 फीसदी बढ़कर 4.21 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह गैर-खाद्य ऋण के मुकाबले अ​धिक है जिसमें 13.9 फीसदी की वृद्धि हुई थी। इन आंकड़ों में एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय का प्रभाव शामिल नहीं है। यह विलय 1 जुलाई 2023 से प्रभावी हुआ था।

भारतीय संदर्भ में मुद्रास्फीति के बारे में दास ने संकेत दिया कि मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करने की जल्दबाजी में नहीं है। दास ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में नरमी जरूर आई है। यह अप्रैल 2022 के शीर्ष स्तर 7.8 फीसदी से नरम होकर आरबीआई द्वारा तय सहज स्तर 4 फीसदी के आसपास आ गई है। मगर दरों में कटौती पर विचार करने से पहले अब भी थोड़ा इंतजार करना होगा।’

अगस्त लगातार दूसरा महीना रहा जब खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी से नीचे रही और लगातार 12 महीने से यह आरबीआई के सहज स्तर 6 फीसदी से नीचे है। दास ने कहा कि आरबीआई के अनुमान इस ओर इशारा कर रहे हैं कि मुद्रास्फीति 2024-25 में और नरम होकर 4.5 फीसदी और 2025-26 में 4.1 फीसदी रह सकती है। साल 2023-24 में यह 5.4 फीसदी के आसपास थी। भारत में मुद्रास्फीति अगस्त में मामूली बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 3.6 फीसदी थी।
 

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