Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Feb, 2025 01:23 PM
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मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों के लिए बड़ा झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे न सिर्फ इसका नया कारोबार ठप हो गया है, बल्कि ग्राहक अपने ही पैसे भी नहीं निकाल पा रहे हैं। इस फैसले से...
बिजनेस डेस्कः मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों के लिए बड़ा झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे न सिर्फ इसका नया कारोबार ठप हो गया है, बल्कि ग्राहक अपने ही पैसे भी नहीं निकाल पा रहे हैं। इस फैसले से ग्राहकों में चिंता बढ़ गई है। आखिर RBI ने यह कदम क्यों उठाया, इसका क्या असर होगा और ग्राहकों को आगे क्या करना चाहिए? आइए जानते हैं।
RBI ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उसके बाद बैंक अब कोई नया कर्ज नहीं दे सकेगा, न ही ग्राहक अपने जमा पैसे निकाल सकेंगे। यह कदम बैंक की वित्तीय स्थिति और सुपरवाइजरी चिंताओं को देखते हुए उठाया गया है।
आरबीआई के अनुसार, जिन ग्राहकों के पैसे इस बैंक में जमा हैं, वे अधिकतम 5 लाख रुपए तक की जमा बीमा योजना (Deposit Insurance Scheme) के तहत क्लेम कर सकते हैं। ऐसे ग्राहकों को अपने दावे बैंक में जमा करने होंगे। मार्च 2024 के अंत तक बैंक में कुल जमा राशि 2436 करोड़ रुपए थी।
क्यों लिया गया ऐसा फैसला
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि 13 फरवरी 2025 से बैंक कोई नया कर्ज जारी नहीं कर पाएगा, न ही पुराने लोन को रिन्यू कर सकेगा। इसके अलावा, बैंक को किसी भी प्रकार के नए निवेश करने या नए डिपॉजिट स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी। बैंक किसी को भी भुगतान नहीं कर सकेगा और अपनी किसी भी संपत्ति को बेच या ट्रांसफर नहीं कर पाएगा।
ग्राहकों की निकासी पर रोक
बैंक की कमजोर वित्तीय स्थिति को देखते हुए आरबीआई ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बचत और चालू खातों से निकासी पर रोक लगा दी है। बैंक न तो किसी को भुगतान कर सकेगा और न ही अपनी संपत्ति को बेच या ट्रांसफर कर पाएगा।
छह महीने तक लागू रहेंगी पाबंदियां
फिलहाल, ये पाबंदियां 13 फरवरी 2025 से छह महीनों तक लागू रहेंगी। इस दौरान आरबीआई बैंक की स्थिति की समीक्षा करेगा और जरूरत पड़ने पर निर्देशों में बदलाव कर सकता है। नियामक संस्था का कहना है कि यह कदम ग्राहकों के हितों की सुरक्षा और बैंक की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।