Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jun, 2024 10:18 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का ब्याज दर को स्थिर रखने का फैसला उम्मीद के अनुरूप ही है। शीर्ष बैंक अधिकारियों ने शुक्रवार को यह बात कही। इसके साथ ही उन्होंने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत करने का स्वागत किया। आरबीआई की...
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का ब्याज दर को स्थिर रखने का फैसला उम्मीद के अनुरूप ही है। शीर्ष बैंक अधिकारियों ने शुक्रवार को यह बात कही। इसके साथ ही उन्होंने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत करने का स्वागत किया। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया है। फरवरी, 2023 से ही रेपो दर स्थिर बनी हुई है।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन एम वी राव ने कहा कि रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखने सहित नीति फैसला उम्मीद के मुताबिक है। राव सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत करने से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावनाओं में केंद्रीय बैंक का भरोसा बढ़ा है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि वृद्धि अनुमान में संशोधन ने महामारी के बाद भारत की लगातार मजबूत वृद्धि की पुष्टि की है।
उन्होंने नियामकीय उपायों का स्वागत करते हुए कहा, ''घरेलू वृद्धि मुद्रास्फीति परिदृश्य अनुकूल रहा है और दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से नीचे जाती हुई नजर आ रही है।'' इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा, ''उदार रुख को वापस लेने के फैसले पर कायम रहने से संतुलित नजरिये का पता चलता है, जिससे टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के साथ महंगाई को काबू में रखने में मदद मिलेगी।''
इंडियन बैंक के एमडी एवं सीईओ एस एल जैन ने कहा कि नीतिगत समीक्षा मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखते हुए आर्थिक वृद्धि को संतुलित करने के आरबीआई के सतर्क नजरिये को दर्शाती है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड की जरीन दारूवाला ने कहा कि मुद्रास्फीति पर केंद्रीय बैंक के ध्यान देने से आने वाले महीनों में दरों में कटौती की गुंजाइश बन सकती है। टाटा कैपिटल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी राजीव सभरवाल ने कहा कि आरबीआई का सहयोगी रुख और मौजूदा बाजार की स्थिति अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है। इससे आगे चलकर ब्याज दरें कम होंगी और निवेश बढ़ेगा।