Edited By Rahul Singh,Updated: 31 Dec, 2024 07:34 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 30 दिसंबर 2024 को अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) जारी की, जिसमें भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती का आकलन किया गया। यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति द्वारा तैयार की गई है
बिजनैस डैस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 30 दिसंबर 2024 को अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) जारी की, जिसमें भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती का आकलन किया गया। यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति द्वारा तैयार की गई है और इसमें वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं के बीच भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती को रेखांकित किया गया है।
इस रिपोर्ट में वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के प्रदर्शन, और बीमा क्षेत्र की सॉल्वेंसी की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में लचीलापन दिखता है, लेकिन मध्यकालिक जोखिम अभी भी मौजूद हैं, जैसे संपत्ति का अधिक मूल्यांकन, उच्च सार्वजनिक ऋण, भू-राजनीतिक संघर्ष, और उभरती तकनीकी जोखिम। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है, जो स्वस्थ मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियों और वित्तीय संस्थाओं के मजबूत बैलेंस शीट्स से समर्थित है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
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वैश्विक स्थिति: वैश्विक वित्तीय प्रणाली लचीली दिखती है, लेकिन कुछ मध्यकालिक जोखिम मौजूद हैं, जैसे संपत्ति का अत्यधिक मूल्यांकन, उच्च सार्वजनिक ऋण, भू-राजनीतिक संघर्ष, और उभरती तकनीकों से जुड़े जोखिम।
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भारत की वित्तीय प्रणाली: भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक आधार और बैंकों और गैर-बैंक वित्तीय संस्थाओं के स्वस्थ बैलेंस शीट्स से समर्थित है।
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एससीबी का प्रदर्शन: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) मजबूत लाभप्रदता और घटते गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इन बैंकों की पूंजी और तरलता बफर पर्याप्त हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन बैंकों का रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) और रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) दशकों के उच्चतम स्तर पर है, जबकि सकल एनपीए (GNPA) अनुपात कई वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है।
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मैक्रो तनाव परीक्षण: रिपोर्ट में यह बताया गया कि अधिकांश एससीबी के पास आवश्यक पूंजी बफर हैं, जो नियामक न्यूनतम से अधिक हैं, यहां तक कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी। इन परीक्षणों से म्यूचुअल फंड्स और क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस की लचीलापन भी प्रमाणित होती है।
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एनबीएफसी का प्रदर्शन: गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) भी स्वस्थ स्थिति में हैं, जिनके पास पर्याप्त पूंजी बफर, मजबूत ब्याज मार्जिन और आय हैं। इसके साथ ही इन कंपनियों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता भी सुधार रही है।
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बीमा क्षेत्र: बीमा क्षेत्र की सॉल्वेंसी स्थिति भी अच्छी है, और इसकी समेकित सॉल्वेंसी अनुपात आवश्यक न्यूनतम स्तर से ऊपर बना हुआ है।