Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Apr, 2025 11:56 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज से (7 अप्रैल) शुरू हो गई है। यह मौजूदा वित्त वर्ष की पहली बैठक है। तीन दिवसीय चलने वाली इस बैठक के नतीजों का ऐलान 9 अप्रैल को किया जाएगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज से (7 अप्रैल) शुरू हो गई है। यह मौजूदा वित्त वर्ष की पहली बैठक है। तीन दिवसीय चलने वाली इस बैठक के नतीजों का ऐलान 9 अप्रैल को किया जाएगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बैठक में RBI ब्याज दरों में 0.25% की कटौती करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश में महंगाई कम हो रही है लेकिन, वे इस बात पर एकमत नहीं हैं कि RBI अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करेगा या नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है, जिससे दुनिया भर के व्यापार और वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है।
वैश्विक अनिश्चितता पहले से कहीं ज्यादा
बार्कलेज की भारत की मुख्य अर्थशास्त्री आस्था गुदवानी ने कहा, "वैश्विक अनिश्चितता पहले से कहीं ज्यादा है। इसलिए, हमें लगता है कि RBI को 'तटस्थ' रुख अपनाना चाहिए। 'तटस्थ' रुख का मतलब है कि RBI ब्याज दरों को स्थिर भी रख सकता है और हर बैठक में ब्याज दरें घटाना जरूरी नहीं है।"
EMI में मिल सकती है राहत
आम जनता को जल्द ही लोन की किस्तों (EMI) में थोड़ी राहत मिल सकती है। फरवरी 2025 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6.5% से 6.25% कर दिया था, जो करीब 5 साल बाद पहली बार हुआ था। अब उम्मीद की जा रही है कि RBI एक बार फिर रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर सकता है।
अगर ऐसा होता है, तो बैंकों से मिलने वाले लोन और भी सस्ते हो जाएंगे, जिससे आपकी होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की EMI थोड़ी कम हो सकती है।
जनवरी और मार्च के बीच करीब 8 लाख करोड़ रुपए की नकदी दिए जाने के बाद केंद्रीय बैंक ने हैरान करते हुए पिछले हफ्ते खुले बाजार के जरिये 80,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीद योजना की घोषणा की। इस घोषणा के बाद सॉवरिन बॉन्ड यील्ड तीन वर्षों में अपने निचले स्तर पर पहुंच गया। इस कदम का मकसद, बहुप्रतीक्षित ब्याज दर कटौती से पहले बैंकिंग तंत्र में पर्याप्त नकदी मुहैया करना था ताकि नीतिगत दरों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।
मार्च के अंतिम सप्ताह में एक रिपोर्ट में बैंक ऑफ अमेरिका ने कहा है, ‘हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक नकदी डालना जारी रखेगा और इसके लिए केंद्रीय बैंक ने वैरिएबल रेट रीपो ऑपरेशन, बॉन्ड खरीद और फॉरवर्ड स्वैप का इस्तेमाल किया है, जिससे नकदी की स्थिति बेहतर बनी रहे।’