Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Mar, 2025 01:42 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नियमों के उल्लंघन को लेकर हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (HSBC) पर 66.6 लाख रुपए और IIFL समस्ता फाइनेंस लिमिटेड पर 33 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया है। RBI ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई नियामक अनुपालन...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नियमों के उल्लंघन को लेकर हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (HSBC) पर 66.6 लाख रुपए और IIFL समस्ता फाइनेंस लिमिटेड पर 33 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया है। RBI ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई नियामक अनुपालन में कमियों के आधार पर की गई है और इसका उद्देश्य ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय लेना नहीं है।
क्या है कार्रवाई की वजह
रिजर्व बैंक ने बताया कि उसने केवाईसी और जमा पर ब्याज दर से संबंधित निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड पर 66.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, आईआईएफएल समस्ता फाइनेंस लिमिटेड पर 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण गैर-जमा स्वीकार करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2016' और अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निर्देशों के कुछ प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए 33.1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
नोटिस जारी किया गया
आरबीआई ने बताया कि उसने 31 मार्च 2023 तक HSBC की वित्तीय स्थिति का निरीक्षण किया था, जिसमें नियामक अनुपालन में खामियां पाई गईं। इसके बाद बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि बैंक ने एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) अलर्ट के निपटान का कार्य अपनी समूह कंपनी को आउटसोर्स कर दिया था। कुछ उधारकर्ताओं के अनसिक्योर विदेशी मुद्रा जोखिम की जानकारी ऋण सूचना कंपनियों को नहीं दी गई थी और कुछ अयोग्य संस्थाओं के नाम पर बचत जमा खाते खोले गए थे।
आईआईएफएल समस्ता के मामले में
आरबीआई ने बताया कि उसने 31 मार्च 2023 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति का निरीक्षण किया था, जिसमें नियामक अनुपालन में कमियां पाई गईं। इसके बाद कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जांच के दौरान यह पाया गया कि कंपनी ने आरबीआई के 'निष्पक्ष आचरण संहिता' संबंधी निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कुछ उधारकर्ताओं से ऋण वितरण या चेक जारी करने की तिथि से पहले की अवधि के लिए ब्याज वसूला। इसके अलावा कंपनी 90 दिनों या उससे अधिक समय से बकाया राशि वाले कुछ ऋण खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रही।