Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Dec, 2024 01:43 PM
1 जनवरी 2025 को भारतीय सरकारी तेल कंपनियां एलपीजी की कीमतों की समीक्षा कर नई कीमतों का ऐलान करेंगी। भारत में भले ही एलपीजी सिलेंडर की महंगाई आम जनता के लिए एक बड़ी परेशानी बन चुकी है लेकिन रूस के घरेलू मार्केट में एलपीजी की कीमतें अब आधी हो गई हैं।...
बिजनेस डेस्कः 1 जनवरी 2025 को भारतीय सरकारी तेल कंपनियां एलपीजी की कीमतों की समीक्षा कर नई कीमतों का ऐलान करेंगी। भारत में भले ही एलपीजी सिलेंडर की महंगाई आम जनता के लिए एक बड़ी परेशानी बन चुकी है लेकिन रूस के घरेलू मार्केट में एलपीजी की कीमतें अब आधी हो गई हैं। रूस में एलपीजी का उपयोग खाना पकाने, कारों में ईंधन, हीटिंग और अन्य पेट्रोकेमिकल्स के उत्पादन में किया जाता है।
एलपीजी कीमतों में बड़ी गिरावट
एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस में दिसंबर 2024 में एलपीजी की कीमतें नवंबर 2024 के मुकाबले घटकर आधी रह गई है। नवंबर महीने के आखिर में जो एलपीजी 28,000 Roubles में मिल रहा था उसकी कीमत 20 दिसंबर को घटकर 14000 Roubles यानि 140 डॉलर पर आ गया है यानी सीधे 50 फीसदी की कमी।
रूस में एलपीजी कीमतों में गिरावट के कारण
रूस यूरोपीय देशों को बड़े पैमाने पर एलपीजी (Liquefied Petroleum Gas) एक्सपोर्ट करता था लेकिन रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के कारण इसके एक्सपोर्ट में भारी कमी आई है। यूरोपीय यूनियन ने 20 दिसंबर 2024 से रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लागू किया, जिसके बाद पोलैंड, जो रूस का सबसे बड़ा एलपीजी इंपोर्टर था, ने रूस से एलपीजी एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया। इससे रूस के घरेलू मार्केट में एलपीजी की आपूर्ति बढ़ी, जिससे कीमतों में गिरावट आई है।
रूस का दूसरे देशों को एक्सपोर्ट बढ़ाना
रूस ने हाल ही में चीन, मंगोलिया, अर्मीनिया, जॉर्जिया और अजरबैजान जैसे देशों को एलपीजी का एक्सपोर्ट बढ़ा दिया है। चीन रूस से एलपीजी इंपोर्ट बढ़ाने पर विचार कर रहा है। अब यह सवाल उठता है कि क्या भारत, जैसा कि उसने रूस से सस्ते दामों में कच्चा तेल इंपोर्ट किया था, एलपीजी भी सस्ते दामों पर रूस से इंपोर्ट करेगा?
भारत और रूस के व्यापार संबंध
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोपीय देशों ने रूस से कच्चे तेल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्धि हुई और भारत ने सस्ते दामों पर रूस से कच्चा तेल इंपोर्ट किया। हालांकि, इसका फायदा तेल कंपनियों की आर्थिक स्थिति को तो हुआ लेकिन आम उपभोक्ताओं को सस्ता पेट्रोल और डीजल नहीं मिल सका।