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सोने की बढ़ती कीमतों से बढ़ा सरकार का बोझ!, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स पर ₹1.2 लाख करोड़ की देनदारी

Edited By Pardeep,Updated: 01 Apr, 2025 11:05 PM

rising gold prices increase government s burden

भारत सरकार को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) के तहत ₹1,20,692 करोड़ (₹1.2 लाख करोड़) की देनदारी चुकानी होगी अगर वह 1 अप्रैल 2025 को सभी बकाया बॉन्ड्स का भुगतान कर दे। यह राशि ₹9,284 प्रति ग्राम के मौजूदा सोने के भाव के आधार पर आंकी गई है।

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) के तहत ₹1,20,692 करोड़ (₹1.2 लाख करोड़) की देनदारी चुकानी होगी अगर वह 1 अप्रैल 2025 को सभी बकाया बॉन्ड्स का भुगतान कर दे। यह राशि ₹9,284 प्रति ग्राम के मौजूदा सोने के भाव के आधार पर आंकी गई है।

देने वाली राशि 79% बढ़ी 
सरकार ने संसद में बताया कि 20 मार्च 2025 तक जारी किए गए बॉन्ड्स का मूल मूल्य ₹67,322 करोड़ था, जो 130 टन सोने के बराबर है। लेकिन सोने की कीमतें तेजी से बढ़ने के कारण सरकार की देनदारी 79% ज्यादा हो गई। इसमें ब्याज का भुगतान शामिल नहीं है, जो सरकार को इन बॉन्ड्स पर देना पड़ा है।

अब तक कितने बॉन्ड्स हो चुके हैं रिडीम?
सरकार ने 7 ट्रांच (किस्तों) के बॉन्ड्स का पूरा भुगतान कर दिया है और हाल ही में 8वीं ट्रांच के लिए भी प्रीमैच्योर रिडेम्पशन (समय से पहले भुगतान) का विकल्प दिया था। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स का भुगतान बाजार में चल रहे सोने की औसत कीमत के आधार पर किया जाता है।

अगले सालों में और बढ़ेगा बोझ
सरकार की यह देनदारी आगे और बढ़ने वाली है, क्योंकि आखिरी बॉन्ड 2032 में रिडीम होगा और सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। 2015 में जब पहला SGB जारी किया गया था, तब से अब तक सोने के दाम 252% बढ़ चुके हैं।

सरकार को भारी भरकम भुगतान करना पड़ा

अब तक जारी किए गए बॉन्ड्स में सरकार को निवेशकों को मोटा रिटर्न देना पड़ा है:

बढ़ती लागत के कारण बंद हुआ SGB स्कीम 
सरकार के लिए यह स्कीम बहुत महंगी पड़ रही थी, इसलिए फरवरी 2024 के बाद नए SGB जारी करने बंद कर दिए गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2025 में बजट के बाद इस पर जवाब देते हुए कहा, "हां, एक तरह से यह योजना बंद कर दी गई है।"

सरकार ने संसद में बताया कि "सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के कारण यह उधारी अब महंगी हो गई है। इसलिए, सरकार ने G-Sec (सरकारी बॉन्ड) के जरिए सस्ता कर्ज उठाने का फैसला किया और FY 2024-25 में SGB जारी नहीं किए।"

सरकार ने कैसे किया नुकसान को कम करने का प्रयास?

  • सरकार ने "गोल्ड रिजर्व फंड (GRF)" बनाया है, जिसमें कीमत और ब्याज के अंतर को मैनेज करने के लिए पैसे डाले जाते हैं।

  • बजट दस्तावेजों के अनुसार, FY24 में GRF में ₹3,552 करोड़ जमा किए गए।

  • FY25 में इसे बढ़ाकर ₹8,551 करोड़ कर दिया गया, और बाद में ₹28,605 करोड़ तक कर दिया गया, क्योंकि सोने की कीमतें बढ़ रही थीं।

  • 2025-26 के लिए अभी तक सिर्फ ₹697 करोड़ ही आवंटित किए गए हैं।

SGB स्कीम क्यों शुरू हुई थी?

2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम लॉन्च की गई थी ताकि सरकार को सस्ता कर्ज मिल सके और भारत की सोने की आयात निर्भरता कम हो, जिससे करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कम किया जा सके। 

आगे क्या होगा?

चूंकि 2032 तक SGB की देनदारी बनी रहेगी, और सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, इसलिए सरकार को भारी वित्तीय दबाव झेलना पड़ सकता है। अब सरकार सस्ते कर्ज के लिए G-Sec बाजार पर निर्भर कर रही है, लेकिन गोल्ड बॉन्ड स्कीम से हुए घाटे से सबक लेते हुए भविष्य में कोई नया बॉन्ड जारी नहीं किया गया है।

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