Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Dec, 2024 06:29 PM
प्याज की बढ़ती कीमतों ने उपभोक्ताओं और सरकार दोनों को चिंता में डाल दिया है। चेन्नई जैसे शहरों में प्याज की कीमतें 100 से 110 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर औसतन यह 70-80 रुपए किलो है। नोएडा में भी प्याज 70-75 रुपए प्रति...
बिजनेस डेस्कः प्याज की बढ़ती कीमतों ने उपभोक्ताओं और सरकार दोनों को चिंता में डाल दिया है। चेन्नई जैसे शहरों में प्याज की कीमतें 100 से 110 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर औसतन यह 70-80 रुपए किलो है। नोएडा में भी प्याज 70-75 रुपए प्रति किलो बिक रहा है, जबकि सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे सरकारी दुकानों पर 35 रुपए प्रति किलो प्याज बेचना और स्पेशल ट्रेनों के जरिए आपूर्ति बढ़ाना। इसके बावजूद रिटेल कीमतों पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है।
जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और भारत में इतना प्याज होने के बाद भी कीमतें आसमान पर क्यों हैं?
प्याज की खेती और उत्पादन
भारत में प्याज की खेती लगभग सभी राज्यों में होती है। इसे रबी और खरीफ सीजन में उगाया जाता है। 2023-24 में देश में कुल 242 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 20% कम है। महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है और यहां के नासिक जिले का लासलगांव एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। महाराष्ट्र अकेले भारत का 43% प्याज उत्पादन करता है जबकि, कर्नाटक और गुजरात दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
क्यों बढ़ रही हैं प्याज की कीमतें
इस साल प्याज की कीमतों में तेजी के पीछे कई कारण हैं, जैसे बारिश का असर। खरीफ सीजन में ज्यादा बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ। इसके चलते प्याज की कटाई में देरी हुई और मंडियों में आपूर्ति प्रभावित हुई। इसके आलावा, उत्पादन में कमी भी इसके पीछे की एक वजह है। 2023-24 में उत्पादन में गिरावट के चलते मांग और आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ गया है। वहीं, बढ़ती मांग की वजह से भी प्याज महंगा हुआ है।
प्याज के निर्यात का असर और सरकार के कदम
भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्याज निर्यातक है और 2022-23 में 2.5 मिलियन टन प्याज का निर्यात किया गया था, जिससे 4,525.91 करोड़ रुपए की कमाई हुई। हालांकि, घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, सरकार ने स्टॉक लिमिट और आपूर्ति बढ़ाने के उपाय भी किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतों में स्थिरता लाने के लिए उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार आवश्यक है।