संजय मल्होत्रा आज संभालेंगे रिजर्व बैंक की कमान, इन बड़ी चुनौतियों का करना होगा सामना

Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Dec, 2024 12:11 PM

sanjay malhotra will take over the command of reserve bank today

रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) आज से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर पद की कमान संभालेंगे। वह मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। केंद्र सरकार ने शक्तिकांत दास का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। शक्तिकांत...

बिजनेस डेस्कः रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) आज से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर पद की कमान संभालेंगे। वह मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। केंद्र सरकार ने शक्तिकांत दास का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। शक्तिकांत दास ने 2018 में आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था। केंद्रीय कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमिटी ने Sanjay Malhotra को RBI का 26वां गवर्नर बनाने के फैसले को हरी झंडी दी।

मल्होत्रा, दुव्वुरी सुब्बाराव के बाद पहले आरबीआई गवर्नर होंगे, जो सीधे नॉर्थ ब्लॉक (भारत के वित्त मंत्रालय का ऑफिस) से आएंगे। फाइनेंस, टैक्सेशन और आईटी में एक्सपर्ट माने जाने वाले मल्होत्रा हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी के तौर पर काम कर चुके हैं। उनका कार्यकाल कई चुनौतियों के बीच शुरू होगा, जिनमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, महंगाई को काबू में रखना और एक्सचेंज रेट को स्थिर रखना शामिल है।

आइए जानते हैं RBI गर्वनर की कमान संभालते ही किन चुनौतियों का सामना करेंगे संजय मल्होत्रा

वित्तीय चुनौतियां

संजय मल्होत्रा ने ऐसे समय में कार्यभार संभाला है जब देश में आर्थिक चुनौतियां बढ़ रही हैं। खुदरा महंगाई दर 6.2% तक पहुंच गई। जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% रह गई। दिसंबर समीक्षा में RBI ने 2024-25 के लिए महंगाई अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया और ग्रोथ का अनुमान 7% से घटाकर 6.6% कर दिया।

ब्याज दरों में कटौती का फैसला

बीते करीब दो सालों से रीपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। इस बीच, रेट कट (Rate Cut) का फैसला लेना वित्त सचिव संजय मल्होत्रा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। इसके साथ ही, बैंकों में लिक्विडिटी (Liquidity) की कमी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। चाहे देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई हो या कोई छोटा प्राइवेट बैंक, लगभग सभी बैंक पैसों की कमी का सामना कर रहे हैं।


 

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