Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jan, 2025 11:56 AM
नई दिल्ली: जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाइयों की बिक्री 30 नवंबर, 2024 तक ₹1,255 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI)...
बिजनेस डेस्कः नई दिल्ली: जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाइयों की बिक्री 30 नवंबर, 2024 तक ₹1,255 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) के तहत हुई इस बिक्री से नागरिकों को लगभग ₹5,020 करोड़ की बचत हुई है।
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
इस वर्ष प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और असम राइफल्स (AR) के साथ कई समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य इन संगठनों के अस्पतालों तक जन औषधि की सस्ती दवाइयां पहुंचाना है। PMBJP के तहत पहला विदेशी जन औषधि केंद्र मॉरीशस में खोला गया।
फार्मा इंडस्ट्री को मजबूती
फार्मास्युटिकल्स विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में ₹500 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ फार्मा इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए एक योजना लागू की।
इस योजना का उद्देश्य देशभर में मौजूदा फार्मा क्लस्टर्स और MSMEs को उनकी उत्पादकता, गुणवत्ता और क्षमताओं को बढ़ाने में सहायता प्रदान करना है।
1,255 करोड़ रुपए की बिक्री का क्या मतलब है?
यह दर्शाता है कि जन औषधि केंद्रों में लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। लोग अब ब्रांडेड दवाओं की बजाय जेनेरिक दवाओं को तवज्जो दे रहे हैं, जो उनकी जेब पर कम बोझ डालती हैं। यह सरकार की इस पहल की सफलता का एक मजबूत संकेत है।
जन औषधि केंद्रों की सफलता के पीछे क्या कारण?
सबसे पहला इन केंद्रों में जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं। दूसरा, सरकार गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े मानकों का पालन करती है। तीसरा, जन औषधि केंद्र देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। चौथा, सरकार की ओर से जन औषधि केंद्रों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किए गए प्रयासों ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।