Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Feb, 2025 10:40 AM
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मार्केट रेगुलेटर SEBI ने म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) के संचालन को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए नए नियम लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत असेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को नए फंड ऑफर (NFOs) से जुटाए गए धन को निर्धारित समय सीमा के भीतर...
बिजनेस डेस्कः मार्केट रेगुलेटर SEBI ने म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) के संचालन को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए नए नियम लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत असेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को नए फंड ऑफर (NFOs) से जुटाए गए धन को निर्धारित समय सीमा के भीतर निवेश करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही निवेशकों को अधिक पारदर्शिता देने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम्स की स्ट्रेस टेस्टिंग की जानकारी साझा करने का भी आदेश दिया गया है। ये नए नियम 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होंगे।
सेबी ने निवेश समयसीमा के बारे में 14 फरवरी को जारी एक अधिसूचना में कहा, 'एनएफओ में मिली राशि का उपयोग तय समयसीमा में किया जाएगा। इस बारे में बोर्ड समय-समय पर निर्देश जारी कर सकता है। यह बदलाव सेबी बोर्ड द्वारा दिसंबर में एक प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद आया है। इसमें फंड मैनेजरों को NFO के दौरान इकट्ठा किए गए धन को स्कीम के तय असेट एलोकेशन के अनुसार 30 दिनों के भीतर निवेश करने के लिए कहा गया था।'
निवेशकों के सामने ये विकल्प
रेगुलेटर ने कहा था कि अगर तय समय सीमा के अंदर पैसा निवेश नहीं किया जाता है, तो निवेशकों को बिना एग्जिट लोड चुकाए स्कीम से बाहर निकलने का विकल्प होगा। ये बदलाव AMCs को NFO के दौरान ज्यादा पैसा इकट्ठा करने से रोकता है। इसकी वजह ये है कि निवेशक बाद में मौजूदा नेट असेट वैल्यू (NAV) पर ओपन-एंडेड स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं।
कर्मचारियों के लिए भी निर्देश
असेट मैनेजमेंट कंपनियों के कर्मचारियों के लिए काम करने में आसानी के लिए भी सेबी ने कदम उठाए हैं। सेबी का कहना है कि AMC ऐसे कर्मचारियों के वेतन का एक प्रतिशत म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट में निवेश करेगा। यह कर्मचारियों के पोस्ट या भूमिका के आधार पर होगा।