SEBI में तनावपूर्ण माहौल, चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर लगे गंभीर आरोप

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Sep, 2024 11:22 AM

serious allegations levelled against chairperson madhabi puri buch

मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। बोर्ड की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। पिछले महीने SEBI के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को एक अभूतपूर्व शिकायत की, जिसमें पूंजी एवं कमोडिटी...

बिजनेस डेस्कः मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। बोर्ड की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। पिछले महीने SEBI के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को एक अभूतपूर्व शिकायत की, जिसमें पूंजी एवं कमोडिटी मार्केट रेगुलेटर की लीडरशिप पर टॉक्सिक वर्क कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। 6 अगस्त को लिखी गई इस चिट्ठी में कहा गया है कि SEBI की बैठकों में चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है। यह शिकायत ऐसे समय में आई है जब बुच पर अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच में हितों के टकराव का आरोप है। साथ ही, विपक्ष ने बुच के अपने पुराने एम्प्लॉयर आईसीआईसीआई बैंक से मिले मुआवजे पर भी सवाल उठाए हैं।

बुच पर भ्रष्टाचार के आरोप

जी ग्रुप के फाउंडर सुभाष चंद्रा ने भी बुच पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, हालांकि बुच ने इन आरोपों से इनकार किया है। SEBI ने कहा कि कर्मचारियों के साथ सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है। रेगुलेटर के अनुसार, अधिकारियों की शिकायतों का समाधान किया गया है और कर्मचारियों के साथ संपर्क एक सतत प्रक्रिया है। SEBI के पास ग्रेड A और उससे ऊपर के लगभग 1,000 अधिकारी हैं, जिनमें से लगभग 500 ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कठोर और गैर-पेशेवर भाषा का उपयोग

SEBI के अधिकारियों द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि बुच के नेतृत्व वाली टीम कर्मचारियों के साथ कठोर और गैर-पेशेवर भाषा का उपयोग करती है और उनकी हर गतिविधि पर नजर रखती है। ऐसे टारगेट दिए जाते हैं जिन्हें हासिल करना लगभग असंभव है। अधिकारियों का कहना है कि लीडरशिप के इस तरह के व्यवहार से उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और वर्क-लाइफ बैलेंस बिगड़ गया है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि लीडरशिप के डर के कारण सीनियर अधिकारी भी खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते हैं।

सेबी की प्रतिक्रिया

SEBI का कहना है कि कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए आवश्यक बदलाव किए गए हैं और सारे मुद्दे हल कर दिए गए हैं। SEBI ने कहा कि कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो संघों ने 3 सितंबर को ईमेल के माध्यम से इन बदलावों को स्वीकार कर लिया है। 
 

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