Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Oct, 2024 01:03 PM
सोने की कीमत (gold price) में इस साल 33 फीसदी की तेजी आई है लेकिन चांदी की कीमत (Silver Price) 46 फीसदी उछल चुकी है। हाल में चांदी की कीमत एक लाख रुपए प्रति किलो के पार पहुंची थी। सेफ हेवन के लिए निवेशक चांदी का रुख कर रहे हैं। साथ ही इसका...
बिजनेस डेस्कः सोने की कीमत (gold price) में इस साल 33 फीसदी की तेजी आई है लेकिन चांदी की कीमत (Silver Price) 46 फीसदी उछल चुकी है। हाल में चांदी की कीमत एक लाख रुपए प्रति किलो के पार पहुंची थी। सेफ हेवन के लिए निवेशक चांदी का रुख कर रहे हैं। साथ ही इसका इंडस्ट्रियल यूज भी बढ़ रहा है। यही वजह है कि इसकी कीमत में तेजी आ रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड का कहना है कि मध्यम से लंबी अवधि में चांदी का प्रदर्शन सोने के बराबर या उससे बेहतर हो सकता है। अगले 12 से 15 महीनों में एमसीएक्स पर चांदी की कीमत 1,25,000 रुपए प्रति किलो और कॉमेक्स पर 40 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की उम्मीद है।
फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म का कहना है कि मध्यम अवधि में सोने की कीमत 81,000 रुपए प्रति 10 ग्राम और लंबी अवधि में 86,000 रुपए तक पहुंच सकती हैं। कॉमेक्स पर सोने के मध्यम अवधि में 2,830 डॉलर और लंबी अवधि में 3,000 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। सोना हाल के वर्षों में लगातार सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एसेट्स में से एक रहा है। इस साल सोने की कीमतें कॉमेक्स और घरेलू बाजारों दोनों पर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
क्यों उछल रहा सोना?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च के विश्लेषक मानव मोदी ने कहा कि 2024 में बाजार की अनिश्चितताओं, दरों में कटौती की उम्मीदों, बढ़ती मांग और रुपये में गिरावट के कारण कीमतों में उल्लेखनीय तेजी आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद के महीने सोने की निकट अवधि की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होंगे। इस साल कीमती धातुओं में तेजी के दो प्रमुख कारक फेडरल रिजर्व से दरों में कटौती की उम्मीद और मध्य पूर्व में बढ़ रही भू-राजनीतिक हलचल है। दिवाली में सेंटिमेंट पॉजिटिव रहने का अनुमान है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि ऐतिहासिक रूप से त्यौहारी सीजन के दौरान सोने की मांग में उछाल आता है। इस साल दिवाली के साथ अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की इस साल आखिरी नीति बैठक भी हो रही है। इससे बाजार की धारणा में सुधार होगा। लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण ओवरऑल डिमांड में कमी आ सकती है। साल 2011 के बाद से केवल बार 2015 और 2016 में दिवाली से पहले के 30 दिनों में सोने में नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया गया।