Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Aug, 2024 12:30 PM
एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर के लिए सिंगापुर एयरलाइंस को FDI के लिए भारत सरकार से मंजूरी मिल गई है। सिंगापुर की जानी-मानी एयरलाइन कंपनी- सिंगापुर एयरलाइंस ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।
बिजनेस डेस्कः एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर के लिए सिंगापुर एयरलाइंस को FDI के लिए भारत सरकार से मंजूरी मिल गई है। सिंगापुर की जानी-मानी एयरलाइन कंपनी- सिंगापुर एयरलाइंस ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।
बता दें कि एयर इंडिया, भारतीय दिग्गज कंपनी टाटा ग्रुप की एयरलाइन कंपनी है। इसके अलावा विस्तारा, टाटा सन्स और सिंगापुर की एयरलाइन कंपनी सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड का एक जॉइंट वेंचर है। विस्तारा में टाटा की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत और सिंगापुर एयरलाइंस की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत है।
मर्जर के बाद सिंगापुर एयरलाइंस को एयर इंडिया में मिलेगी 25.1% हिस्सेदारी
भारत सरकार से मंजूरी मिलने के बाद एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर की प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। एयर इंडिया और विस्तारा के मर्जर के बाद सिंगापुर एयरलाइंस को एयर इंडिया में 25.1 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल जाएगी। विस्तारा के साथ मर्जर के पूरा होने के बाद एयर इंडिया दुनिया के सबसे बड़े एयरलाइन ग्रुप्स में शामिल हो जाएगी। इस प्रस्तावित मर्जर की घोषणा नवंबर 2022 में की गई थी।
SIA ने सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज को दी सूचना
सिंगापुर एयरलाइंस (SIA) ने शुक्रवार को सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज को दी सूचना में बताया था कि एयर इंडिया के साथ विस्तारा के प्रस्तावित मर्जर के हिस्से के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए भारत सरकार से उसे मंजूरी मिल गई है। एयरलाइन कंपनी ने बताया कि मर्जक का पूरा होना, संबंधित पक्षों द्वारा लागू भारतीय कानूनों के अनुपालन के अधीन है।
NCLT ने जून में मर्जर को दी थी मंजूरी
विस्तारा और एयर इंडिया के मर्जर का अगले कुछ महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ''प्रस्तावित मर्जर के 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।'' इस मर्जर से सबसे बड़े एयरलाइन ग्रुप्स में से एक ग्रुप की स्थापना होगी। बताते चलें कि विस्तारा और एयर इंडिया के मर्जर को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (NCLT) ने जून में मंजूरी दी थी।