Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Oct, 2024 02:03 PM
वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है कि उपभोक्ता धारणा में कमी और सामान्य से अधिक वर्षा के कारण लोगों की सीमित आवाजाही के चलते शहरी मांग में आई कमी पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical...
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है कि उपभोक्ता धारणा में कमी और सामान्य से अधिक वर्षा के कारण लोगों की सीमित आवाजाही के चलते शहरी मांग में आई कमी पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical Intelligence) के कारण श्रमिकों की नौकरियों के समाप्त होने से संबंधित अटकलों पर भी नजर रखने की बात कही गई है।
समीक्षा में उल्लेख किया गया है कि भू-राजनीतिक संघर्षों में वृद्धि, भू-आर्थिक विघटन और कुछ वित्तीय बाजारों में अधिक मूल्यांकन के कारण परिसंपत्तियों पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। यह स्थिति परिवारों की धारणा को प्रभावित कर सकती है और भारत में उपभोक्ता स्थायी वस्तुओं पर खर्च करने की उनकी प्रवृत्ति को बदल सकती है।
सितंबर महीने की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में खाद्यान्न के पर्याप्त बफर स्टॉक और खरीफ फसल की बेहतर पैदावार की उम्मीद से कीमतों पर दबाव कम होने की संभावना है। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि कुछ सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि को छोड़कर, मुद्रास्फीति काफी हद तक नियंत्रण में है। रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रास्फीति को लेकर परिवारों और व्यवसायों की उम्मीदों में नरमी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के सर्वेक्षणों ने भी इसी प्रकार के संकेत दिए हैं।
समीक्षा में कहा गया है, "कुछ खाद्य वस्तुओं से प्रभावित होने वाली शीर्ष मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था में मौजूद मांग का आकलन करने का सबसे सही पैमाना नहीं हो सकती है।" वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 4.6 फीसदी रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 5.5 फीसदी थी।
जहां तक शहरी मांग का सवाल है, मासिक समीक्षा में कहा गया है कि त्योहारी सीजन और उपभोक्ता धारणा में सुधार से आगे शहरी क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन प्रारंभिक संकेत बहुत उत्साहजनक नहीं थे। हालांकि, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान की बिक्री में वृद्धि होने और तिपहिया और ट्रैक्टरों की बिक्री में तेजी से संकेत मिलता है कि ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है।
वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी के बीच रह सकती है। यह मुख्य रूप से बाहरी क्षेत्र में स्थिरता, सकारात्मक कृषि परिदृश्य, त्योहारी सीजन से मांग में वृद्धि और सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण निवेश गतिविधियों में तेजी का परिणाम होगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि विनिर्माण की गति में कुछ कमी आई है, जबकि विनिर्माण पर आरबीआई के सर्वेक्षण में आगामी तिमाहियों के दौरान कारोबारी अपेक्षाओं में सुधार के संकेत मिले हैं। सितंबर में पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स विनिर्माण के लिए घटकर 56.5 रह गया था।