लघु उत्पादकों, बीएलएफ से सबसे बड़ा खतरा: चाय बोर्ड के अध्यक्ष

Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 Nov, 2019 11:33 AM

small producers biggest threat from blf chairman of tea board

चाय बोर्ड के अध्यक्ष पीके बेजबरुआ ने शुक्रवार को कहा कि संगठित क्षेत्र को छोटे चाय उत्पादकों (एसटीजी) और चाय की पत्ती खरीद के चाय बनाने वाली कंपनियों (बीएलएफ) के संयोजन से ‘सबसे बड़ा खतरा'' है। ये कम लागत के स्तर पर काम करते हैं। देश के वार्षिक...

कोलकाताः चाय बोर्ड के अध्यक्ष पीके बेजबरुआ ने शुक्रवार को कहा कि संगठित क्षेत्र को छोटे चाय उत्पादकों (एसटीजी) और चाय की पत्ती खरीद के चाय बनाने वाली कंपनियों (बीएलएफ) के संयोजन से ‘सबसे बड़ा खतरा' है। ये कम लागत के स्तर पर काम करते हैं। देश के वार्षिक उत्पादन में छोटे चाय उत्पादकों (एसटीजी) की लगभग 48 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके 2020 के अंत तक 50 प्रतिशत का आंकड़ा छूने की उम्मीद है।

बेजबरुआ ने यहां इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) चाय कॉनक्लेव में कहा, ‘‘संगठित क्षेत्र के सामने सबसे बड़ा खतरा एसटीजी-बीएलएफ गठबंधन से है। उनकी लागत संरचना संगठित क्षेत्र की तुलना में बहुत कम है, क्योंकि संगठित क्षेत्र को कुछ वैधानिक दायित्वों और खर्चों को पूरा करना होता है।'' उन्होंने कहा कि चाय बागान के पुराने होते जाने और मिट्टी की उर्वरता में कमी आने की स्थिति के साथ-साथ संगठित चाय क्षेत्र सख्त श्रम कानूनों से भी जूझता है।

बेजबरुआ ने यह भी कहा कि चाय उद्योग के सामने दूसरी बड़ी चुनौती मांग-आपूर्ति का अंतर है। हालांकि चाय बोर्ड के उपाध्यक्ष अरुण कुमार रे ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद नीलामी में चाय की कीमतों में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि निर्यात में मूल्य प्राप्ति के लिहाज से इसमें 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 
 

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