Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jan, 2025 11:49 AM
आजकल आपने महसूस किया होगा कि जो सामान पहले एक निश्चित मूल्य पर बड़े पैक में मिलता था, अब वही सामान छोटे आकार में मिलने लगा है, जबकि कीमत समान है। यह बदलाव उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) की कंपनियों द्वारा महंगाई से निपटने की रणनीति का हिस्सा है। महंगाई के...
बिजनेस डेस्कः आजकल आपने महसूस किया होगा कि जो सामान पहले एक निश्चित मूल्य पर बड़े पैक में मिलता था, अब वही सामान छोटे आकार में मिलने लगा है, जबकि कीमत समान है। यह बदलाव उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) की कंपनियों द्वारा महंगाई से निपटने की रणनीति का हिस्सा है। महंगाई के कारण उत्पादों की कीमतें बढ़ रही हैं और उपभोक्ताओं का बजट प्रभावित हो रहा है। ऐसे में कंपनियां छोटे साइज के पैक को बाजार में उतार रही हैं ताकि उपभोक्ता आसानी से इन्हें खरीद सकें। यह प्रवृत्ति साबुन, स्नैक्स, चाय और अन्य घरेलू वस्तुओं पर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। कंपनियां प्रोडक्ट का वजन कम करके 5, 10 और 20 रुपए के मूल्य पैक को बनाए रखने पर फोकस कर रही हैं।
दरअसल, भारतीय उपभोक्ता काफी चीजों के छोटे पैक खरीद रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि किराने के सामान और घरेलू आपूर्ति की बढ़ती कीमतें उनके बजट से बाहर हो रही हैं। साबुन, स्नैक्स और चाय जैसी चीजों पर महंगाई का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा कि पाम ऑयल की कीमत में साल-दर-साल करीब 30% की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उपभोक्ता छोटे पैक खरीद रहे हैं, जिसका नकारात्मक असर वॉल्यूम पर पड़ रहा है।
कंपनियों ने बढ़ाई कीमत
महंगाई की मार झेल रही एफएमसीजी कंपनियों ने दिसंबर तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी की है। हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीसीपीएल) जैसी कंपनियों ने साबुन की कीमत में करीब 10% की बढ़ोतरी की है। वहीं बीकाजी ने अपने स्नैक्स और टाटा कंज्यूमर ने चाय की रेंज की कीमतों में बढ़ोतरी की है।
विश्लेषकों ने कहा कि चालू तिमाही में कुछ कंपनियां कीमतों में और बढ़ोतरी कर सकती हैं। मैरिको के एमडी और सीईओ सौगत गुप्ता ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वह प्रोडक्ट्स की कीमत में वृद्धि करने की प्रक्रिया में हैं।
शहर में कमजोर हुई मांग
कमजोर शहरी मांग के कारण FMCG कंपनियों की वृद्धि धीमी रही है। वहीं अच्छे मानसून के कारण ग्रामीण बाजार बढ़ रहे हैं। हालांकि, सुधार धीरे-धीरे हो रहा है और अकेले शहरी मंदी की भरपाई नहीं कर सकता। उच्च कमोडिटी मुद्रास्फीति का मतलब है कि कंपनियों के पास खपत बढ़ाने के लिए कीमतें कम करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
एक विश्लेषक ने कहा कि अगर उपभोक्ता 1 किलो चाय और मल्टी-पैक साबुन खरीदने की जगह 500 ग्राम चाय पैक और एक या दो साबुन खरीदने लगते हैं तो यह निश्चित रूप से कंपनियों की तिमाही वॉल्यूम वृद्धि को प्रभावित करेगा।