Edited By Anu Malhotra,Updated: 21 Dec, 2024 09:40 AM
सुप्रीम कोर्ट ने क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान में देरी पर बैंकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग (एनसीडीआरसी) के उस पुराने फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें क्रेडिट कार्ड बिल पर देरी से भुगतान करने वालों से अधिकतम 30%...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान में देरी पर बैंकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग (एनसीडीआरसी) के उस पुराने फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें क्रेडिट कार्ड बिल पर देरी से भुगतान करने वालों से अधिकतम 30% सालाना ब्याज वसूलने की सीमा तय की गई थी। इस फैसले के बाद बैंक अब अपने हिसाब से ब्याज दर तय कर सकेंगे।
क्या है मामला?
यह मामला 15 साल पुराना है, जब एनसीडीआरसी ने आदेश दिया था कि समय पर क्रेडिट कार्ड बिल का पूर्ण भुगतान न करने या केवल न्यूनतम देय राशि चुकाने पर बैंकों को 30% से अधिक ब्याज वसूलने का अधिकार नहीं होगा। आयोग ने इसे "अनुचित व्यापार व्यवहार" करार दिया था।
तीन प्रमुख बैंकों- स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक और एचएसबीसी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बैंकों का तर्क था कि ब्याज दरों पर फैसला करना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का विशेषाधिकार है और आयोग का इस पर हस्तक्षेप करना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि बैंकों को ब्याज दर तय करने का अधिकार होना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि ब्याज की दरें भुगतान में चूक करने वाले ग्राहकों पर लागू होती हैं, जबकि समय पर भुगतान करने वालों को ब्याज-मुक्त अवधि और अन्य लाभ दिए जाते हैं।
आरबीआई का क्या कहना है?
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इस मुद्दे पर अदालत में कहा कि वह बैंकों को "अत्यधिक ब्याज न वसूलने" का निर्देश देता है, लेकिन ब्याज दरों को सीधे विनियमित नहीं करता। आरबीआई ने यह जिम्मेदारी बैंकों के बोर्ड पर छोड़ दी है।
फैसले का असर
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंकों को क्रेडिट कार्ड ग्राहकों से अधिक ब्याज वसूलने का कानूनी आधार मिल गया है। यह कदम बैंकों के लिए राहत की खबर है, लेकिन ग्राहकों के लिए यह देरी से भुगतान करने पर बड़ा आर्थिक बोझ