दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम शुल्क की किस्तों के साथ GST का करना होगा भुगतान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 May, 2024 05:22 PM

telecom companies will have to pay gst along with spectrum fee installments

दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम शुल्क के भुगतान के साथ-साथ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भी भुगतान करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। दूरसंचार विभाग (डीओटी) मोबाइल फोन सेवाओं के लिए आठ स्पेक्ट्रम बैंड के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी का अगला दौर...

नई दिल्लीः दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम शुल्क के भुगतान के साथ-साथ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भी भुगतान करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। दूरसंचार विभाग (डीओटी) मोबाइल फोन सेवाओं के लिए आठ स्पेक्ट्रम बैंड के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी का अगला दौर छह जून को आयोजित करेगा। नीलामी के लिए आधार मूल्य 96,317 करोड़ रुपए तय किया गया है। स्पेक्ट्रम 20 साल के लिए आवंटित किया जाएगा और सफल बोलीदाताओं को आगामी ‘मेगा' नीलामी में 20 समान वार्षिक किस्तों में भुगतान करने की अनुमति दी जाएगी। 

अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को प्रत्येक किस्त के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘जीएसटी परिषद अपनी अगली बैठक में स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान बोली जीतने वाली कंपनियों द्वारा जीएसटी भुगतान की प्रक्रिया को स्पष्ट कर सकती है।'' स्पष्टीकरण से नीलामी प्रक्रिया में जीएसटी संग्रह की विधि के संबंध में क्षेत्रीय अधिकारियों के बीच भ्रम समाप्त हो जाएगा। 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1,800 मेगाहर्ट्ज, 2,100 मेगाहर्ट्ज, 2,300 मेगाहर्ट्ज, 2,500 मेगाहर्ट्ज, 3,300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में सभी उपलब्ध स्पेक्ट्रम नीलामी का हिस्सा हैं। नीलामी की जा रही कुल ‘फ्रीक्वेंसी' का मूल्य 96,317 करोड़ रुपए है। 

लेखा व परामर्श कंपनी मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि जीएसटी कानून के तहत स्पेक्ट्रम भुगतान अन्य प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के अधिकार के लिए लाइसेंसिंग सेवाओं के अंतर्गत आता है, जिसपर 18 प्रतिशत कर लगाया जाता है। मूर सिंघी, मूर ग्लोबल की भारतीय सलाहकार इकाई है। मोहन ने कहा, ‘‘स्पेक्ट्रम शुल्क एक निश्चित अवधि में चरणबद्ध तरीके से अदा करना होता है। इस प्रकार कर भुगतान भी अलग-अलग होगा। निदेशक मंडल को इस संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए ताकि इस संबंध में किसी भी मुकदमेबाजी से बचा जा सके।''  

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