Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Jul, 2024 03:11 PM
विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार को आगामी बजट में आम नागरिकों के कल्याण पर ध्यान देने, छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार सृजित करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र के लिए...
बिजनेस डेस्कः विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार को आगामी बजट में आम नागरिकों के कल्याण पर ध्यान देने, छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार सृजित करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने की जरूरत है। बसु ने कहा कि सरकार के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि वह जमीनी स्तर पर आर्थिक कल्याण पर कुछ अधिक ध्यान दे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करेंगी।
अर्थशास्त्री ने सुझाव दिया, ‘‘मेरा मानना है कि अमीर लोग अधिक कर चुकाने में सक्षम हैं.... इस धन का इस्तेमाल विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में किए जाने से श्रम की मांग को बढ़ाने, छोटे व्यवसायों की मदद करने और आम लोगों की आय बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है।'' बसु ने कहा कि पिछले दो वर्षों में भारत की समग्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अच्छी रही है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस समग्र आंकड़े पर अधिक ध्यान केंद्रित करने से हम भारत के सामने मौजूद दो प्रमुख जमीनी चुनौतियों को नजरअंदाज कर रहे हैं....तेजी से बढ़ती असमानता और बेरोजगारी के चरम पर होना, खासकर युवा बेरोजगारी जो विश्व में सर्वाधिक है।''
बसु ने कहा कि गरीब परिवारों के समक्ष मुद्रास्फीति राष्ट्रीय औसत 5.08 प्रतिशत तथा अमीर परिवारों के समक्ष मुद्रास्फीति से कहीं अधिक है। जून में खुदरा मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत थी। बेरोजगारी के चरम पर होने के एक सवाल पर बसु ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों का युवा बेरोजगारी में स्वार्थ छुपा है, क्योंकि इससे उन्हें अपने राजनीतिक स्वयंसेवक मिलते हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि राजनीतिक दल अपने हितों से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में नीतियां लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि इस समय सबसे महत्वपूर्ण नीति रोजगार सृजन होनी चाहिए।
बसु ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ‘‘प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, दुनिया भर में श्रम की मांग घट रही है। हालांकि, भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों के लिए जहां श्रम अब भी बहुत सस्ता है, श्रम की मांग में वृद्धि जारी रखना संभव है।'' अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत की कुल बेरोजगार आबादी में सबसे अधिक 83 प्रतिशत युवा थे।