Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Sep, 2024 04:57 PM
केंद्र सरकार ने इंडस्ट्रीज को इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 69सी के तहत कई नोटिस भेजे हैं। इस नोटिस में टैक्सपेयर्स से उनके खर्चों की जानकारी और इन खर्चों के सोर्स की डिटेल्स मांगी गई हैं। सरकार का यह कदम रेवेन्यू लीकेज रोकने और इनकम टैक्स विभाग व GST...
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने इंडस्ट्रीज को इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 69सी के तहत कई नोटिस भेजे हैं। इस नोटिस में टैक्सपेयर्स से उनके खर्चों की जानकारी और इन खर्चों के सोर्स की डिटेल्स मांगी गई हैं। सरकार का यह कदम रेवेन्यू लीकेज रोकने और इनकम टैक्स विभाग व GST विंग के बीच सूचना आदान-प्रदान को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
किसे मिला नोटिस?
सूत्रों के अनुसार, कई इंडस्ट्रीज में सामान्य प्रथा के तौर पर बिजनेस हेड्स के तहत खर्चे दर्ज किए जाते हैं लेकिन टैक्स अधिकारियों का आरोप है कि इनमें से कई खर्चे गलत तरीके से क्लेम किए गए हैं। रियल एस्टेट, इंश्योरेंस, मेटल, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी जैसे सेक्टर्स को इन नोटिसों का सामना करना पड़ रहा है।
कई टॉप इंडस्ट्रीज ने हाईकोर्ट में दे चुनौती
सूत्रों का कहना है कि यह नोटिस एक बड़े पैमाने पर असर डाल सकते हैं, जिससे 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का टैक्स बकाया हो सकता है, जिसका पेमेंट अभी तक नहीं किया गया है। कई प्रमुख इंडस्ट्रीज पहले ही इस मुद्दे को हाईकोर्ट में चुनौती दे चुकी हैं।
एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग
सरकार एडवांस टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से टैक्सपेयर्स और सप्लायर्स के बीच लेन-देन का पता लगा रही है। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (CIB) द्वारा साझा की गई जानकारी का भी उपयोग किया जा रहा है।
धारा 69सी: अनएक्सप्लेंड एक्सपेंसेस
इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 69सी के अनुसार, यदि कोई टैक्सपेयर खर्चों के लिए इस्तेमाल किए गए फंड्स के सोर्स को नहीं बता पाता है, तो उसे इन खर्चों को आय के रूप में माना जाएगा और उन पर टैक्स लगाया जाएगा।
डॉक्यूमैंट्स के साथ अपने क्लेम्स को मजबूत करने की जरूरत
ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर संदीप भल्ला ने कहा, "इन नोटिसों की वजह से इंडस्ट्रीज को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें रियल एस्टेट और इंश्योरैंस सैक्टर्स के लिए कुछ चुनौतियां शामिल हैं, जिनमें बड़े ट्रांजैक्शन और एक्सपैंसेस शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि एक एडजैक्टिव ऑडिट ट्रेल बनाए रखना और मजबूत डॉक्यूमैंटेशन जरूरी है। टैक्सपेयर्स को धारा 69सी के तहत एडिशंस के जोखिम से बचने के लिए प्रोपर इन्वोइसेस, कॉन्ट्रैक्ट और ट्रांजैक्शन से जुड़े जरूरी डॉक्यूमैंट्स के साथ अपने क्लेम्स को मजबूत करने की जरूरत है। इसमें खर्चों के लिए बिजनैस लॉजिक को दिखाना और उन्हें स्पैसिफिक प्रोजैक्ट्स या पॉलिसीज से जोड़ा जा सकता है।
परेशानी का सबब बन सकते हैं नोटिस
भल्ला ने कहा, "इंडस्ट्रीज को अवेयर रहना होगा क्योंकि इस तरह के नोटिस पूरे इंडस्ट्रियल सैक्टर में परेशानी का सबब बन सकते हैं। खासकर जब जांच का दायरा बड़ा हो। हालांकि, हर एक टैक्स पेयर का फीडबैक इंडिविजुअल केस की क्वालिफिकेशन पर बेस्ड होना चाहिए, जिनके पास मजबूत इंटरनल कंट्रोल और प्रोपर रिकॉर्ड रखने का अरेंजमैंट है। उन्हें अपने क्लेम्स का बचाव करने के लिए पूरी तरह से तैयार होना चाहिए।