Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Mar, 2025 01:12 PM

भारतीय प्रवासी (NRI) लंबे समय से भारत की सॉफ्ट पावर (soft power) के रूप में देखे जाते रहे हैं, लेकिन अब वे हार्ड पावर (hard power) यानी आर्थिक मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत...
बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रवासी (NRI) लंबे समय से भारत की सॉफ्ट पावर (soft power) के रूप में देखे जाते रहे हैं लेकिन अब वे हार्ड पावर (hard power) यानी आर्थिक मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) का स्रोत अब खाड़ी देशों से बदलकर विकसित देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया) की ओर बढ़ रहा है।
रेमिटेंस में ऐतिहासिक वृद्धि
RBI के विश्लेषण के मुताबिक, 2023-24 में भारत को मिलने वाले कुल रेमिटेंस 118.7 अरब डॉलर तक पहुंच गए हैं, जो 2010-11 में 55.6 अरब डॉलर थे। यह दिखाता है कि भारतीय प्रवासी न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं बल्कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के दौरान भारत को आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान कर रहे हैं।
खाड़ी से पश्चिमी देशों की ओर प्रवास में बदलाव
अब तक खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में काम करने वाले भारतीय प्रवासी कुल प्रवासी भारतीयों का लगभग आधा हिस्सा बनाते थे लेकिन अब भारतीय प्रवासी, विशेष रूप से सफेदपोश (white-collar) नौकरियों में लगे लोग, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में ज्यादा संख्या में बस रहे हैं। 2023-24 में इन देशों से आने वाले रेमिटेंस का कुल हिस्सा 50% से अधिक हो गया है।
भारत को आर्थिक स्थिरता देने में मदद
रेमिटेंस की इस बढ़ती हिस्सेदारी ने भारत के व्यापार घाटे को कम करने में मदद की है और देश को वैश्विक आर्थिक झटकों से बचाने के लिए एक मजबूत वित्तीय कुशन दिया है। इससे यह भी साफ होता है कि भारतीय प्रवासियों का प्रभाव अब सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी भारत की ताकत को बढ़ा रहा है।