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भारत में सर्विस टैक्स का सफर: 1994 से GST तक का ऐतिहासिक बदलाव

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Feb, 2025 10:42 AM

the journey of service tax in india from economic reforms to gst

आजादी के बाद से भारत में सरकारों ने आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें कर प्रणाली को लागू करना सबसे अहम था। भारत में सर्विस टैक्स की शुरुआत 1994 में हुई, जो देश की आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव माना जाता है। इसे...

बिजनेस डेस्कः आजादी के बाद से भारत में सरकारों ने आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें कर प्रणाली को लागू करना सबसे अहम था। भारत में सर्विस टैक्स की शुरुआत 1994 में हुई, जो देश की आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव माना जाता है। इसे तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की देखरेख में कांग्रेस सरकार ने लागू किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य सेवा क्षेत्र से राजस्व जुटाना और आर्थिक सुधारों को गति देना था।

आर्थिक सुधारों के लिए नई पहल

1990 के दशक में भारत गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा था। वैश्विक मुद्रा कोष (IMF) से मदद लेने के साथ-साथ आर्थिक सुधारों की सख्त जरूरत थी। इस दौरान सेवा क्षेत्र को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाना जरूरी हो गया था।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 1994-95 के केंद्रीय बजट में सर्विस टैक्स लागू करने की घोषणा की। शुरुआत में इसे सिर्फ तीन सेवाओं- टेलीफोन, स्टॉक ब्रोकर और जनरल इंश्योरेंस- पर लागू किया गया था। उस समय सर्विस टैक्स की दर सिर्फ 5% थी।

भारतीय राजस्व में अहम योगदान

शुरुआती दौर में सर्विस टैक्स से मिलने वाला राजस्व सीमित था लेकिन जैसे-जैसे सेवाओं की श्रेणियां बढ़ती गईं, इसका योगदान भी बढ़ता गया। 21वीं सदी के पहले दशक तक यह भारतीय राजस्व संग्रह का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका था।

हालांकि, सर्विस टैक्स के लागू होते ही इसकी आलोचना भी शुरू हो गई थी। विपक्षी दलों और छोटे व्यापारियों ने इसे मध्यम वर्ग पर अतिरिक्त बोझ के रूप में देखा। कई लोगों का मानना था कि इससे अप्रत्यक्ष कर प्रणाली और अधिक जटिल हो जाएगी।

GST के रूप में नई कर प्रणाली

सर्विस टैक्स ने भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। 1 जुलाई 2017 को जब वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया गया, तो सर्विस टैक्स को भी इसमें शामिल कर लिया गया। इससे भारत में एक एकीकृत कर प्रणाली की शुरुआत हुई, जिससे कर प्रक्रिया को आसान बनाने और टैक्स चोरी को रोकने में मदद मिली। इस तरह, सर्विस टैक्स ने भारत के आर्थिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और GST के रूप में एक नई कर प्रणाली का मार्ग प्रशस्त किया।
 

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