Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Feb, 2025 03:33 PM
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भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार 24 फरवरी को एक बार फिर भारी गिरावट देखने को मिली। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 856 अंक गिरकर 74,454 पर, वहीं निफ्टी ने भी 242 अंकों का गोता लगाया, ये 22,553 के स्तर पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और...
बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार 24 फरवरी को एक बार फिर भारी गिरावट देखने को मिली। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 856 अंक गिरकर 74,454 पर, वहीं निफ्टी ने भी 242 अंकों का गोता लगाया, ये 22,553 के स्तर पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से जुड़ी अनिश्चितताओं ने निवेशकों के मनोबल को कमजोर कर दिया।
बाजार में गिरावट के 4 बड़े कारण...
1. कमजोर ग्लोबल संकेत
ग्लोबल मार्केट्स, खासतौर से अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट के चलते भारतीय बाजार में दबाव देखा जा रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार कंज्यूमर डिमांड में सुस्ती और टैरिफ खतरों से जुड़ी चिंताओं के चलते पिछले कारोबार में गिरावट के साथ बंद हुआ था। अमेरिका में कंज्यूमर सेंटीमेंट 15 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया है। टैरिफ से जुड़े उपायों के चलते अमेरिका में महंगाई बढ़ने की उम्मीद है। इसके चलते अमेरिका में स्टैगफ्लेशन आने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें एक तरफ आर्थिक ग्रोथ धीमी होती है लेकिन दूसरी तरफ सामनों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। यह स्थिति खासतौर से आईटी सेक्टर के लिए एक चिंताजनक संकेत है।
2. ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से जुड़ी अनिश्चचतता
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से भारत पर रेसिप्रोकल टैक्स लगाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि भारत हमसे कई सामानों पर 200 प्रतिशत तक टैक्स लेता है। जबकि यहां भारतीय सामानों पर काफी कम टैक्स लगता है। इसके चलते निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।
3. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
विदेशी निवेशक लगातार पैसे निकाल रहे हैं, जिसके चलते भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है। फरवरी महीने में अबतक वह कुल 36,976.70 करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके हैं। शुक्रवार 21 फरवरी को उन्होंने शुद्ध रूप से 3,449 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, 'बाजार लगातार FIIs की बिकवाली और ट्रंप टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं से जूझ रहा है। चीनी शेयरों में तेज उछाल एक और निकट भविष्य की चुनौती है। 'भारत में बेचो, चीन में खरीदो' का ट्रेंड कुछ समय तक जारी रह सकता है क्योंकि चीनी शेयर आकर्षक बने हुए हैं।'
4. ब्याज दरों के लंबे समय तक ऊंची बने रहने का अनुमान
वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में, लंबी अवधि तक महंगाई दरों ते ऊंचे रहने की उम्मीदें बढ़ रही हैं और इसलिए, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती का जो अनुमान लगाया जा रहा है, उसके पूरा होने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है कि फेडरल रिजर्व आर्थिक ग्रोथ को तेज करने के लिए आक्रामक रुख अपनाए, जिसका असर अमेरिकी शेयर बाजारों पर पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट शुरू होती है, तो FIIs भारत में बिकवाली करना बंद कर सकते हैं और खरीददारी फिर से शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन फिलहाल शॉर्ट-टर्म का आउटलुक बेहद अनिश्चित दिख रहा है।