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Budget 2025: भारत के बजट पेश करने के समय में बड़ा बदलाव, 2001 में खत्म हुई ब्रिटिश परंपरा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jan, 2025 12:36 PM

the tradition of presenting the budget changed in 2001

बजट किसी भी देश की आर्थिक नीति और विकास की प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब होता है। यह सरकार की वित्तीय योजनाओं को दर्शाने के साथ-साथ संसाधनों के आवंटन की रणनीति तय करता है। बजट केवल एक वित्तीय दस्तावेज नहीं, बल्कि देश की आर्थिक दिशा को निर्धारित करने...

बिजनेस डेस्कः बजट किसी भी देश की आर्थिक नीति और विकास की प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब होता है। यह सरकार की वित्तीय योजनाओं को दर्शाने के साथ-साथ संसाधनों के आवंटन की रणनीति तय करता है। बजट केवल एक वित्तीय दस्तावेज नहीं, बल्कि देश की आर्थिक दिशा को निर्धारित करने वाला महत्वपूर्ण रोडमैप है, जो वर्तमान आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने के साथ-साथ भविष्य की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

2001 में हुआ था ऐतिहासिक परिवर्तन 

भारत में बजट के साथ जुड़ी कई ऐतिहासिक परंपराएं रही हैं लेकिन इनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव 2001 में हुआ था, जो आज भी चर्चा का विषय है। इस परिवर्तन ने न केवल भारत के बजट पेश करने की प्रक्रिया को नया आकार दिया, बल्कि यह बदलाव भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बन गया। भारत में बजट पेश करने की एक पुरानी परंपरा रही है, जो लगभग 1927 से लेकर 2000 तक जारी रही। इस परंपरा के अनुसार, भारत का बजट हर साल शाम के 5 बजे पेश किया जाता था। यह समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस समय लंदन में सुबह के 11.30 बज रहे होते थे।

ब्रिटेन के हाउस में सुनते थे सांसद भारतीय बजट भाषण

इस समय ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स में बैठे सांसद भारतीय बजट भाषण को सुनते थे। इसका कारण यह था कि भारत के कारोबारी हित ब्रिटेन के लंदन स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े होते थे और भारतीय बजट का असर सीधे तौर पर उन पर पड़ता था। यह परंपरा भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी जारी रही लेकिन 50 वर्षों के बाद इसे बदलने का निर्णय लिया गया। 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भारतीय समयानुसार बजट पेश करने का निर्णय लिया। उन्होंने बजट दिन में पेश करने का फैसला लिया, जो भारत की स्थानीय परंपराओं और जरूरतों के अनुसार था।

आर्थिक और राजनीतिक संप्रभुता बढ़ी 

यह बदलाव सिर्फ एक समय परिवर्तन का मामला नहीं था, बल्कि यह भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। भारत के वित्तीय निर्णय अब पूरी तरह से देश के संदर्भ में लिए जा रहे थे, न कि ब्रिटेन या किसी अन्य विदेशी शक्ति के हिसाब से। इस कदम ने यह संदेश दिया कि अब भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है, जो अपने निर्णयों में आत्मनिर्भर है और किसी भी विदेशी प्रभाव से मुक्त है। 2001 में यह बदलाव केवल एक समय परिवर्तन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत की बढ़ती ताकत और संप्रभुता का प्रतीक था। यह कदम दर्शाता है कि भारत ने अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त किया है और अब वह पूरी दुनिया में एक मजबूत शक्ति के रूप में खड़ा है।
 

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