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खत्म हो सकता है 5 साल का इंतजार! महंगे लोन से मिल सकती है राहत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Feb, 2025 11:18 AM

the wait of 5 years may end you may get relief from expensive loans

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक बुधवार को मुंबई में शुरू हुई, जिसमें देश की आर्थिक नीतियों से जुड़े अहम फैसले लिए जा रहे हैं। शुक्रवार को बैठक के नतीजे सामने आएंगे और माना जा रहा है कि पांच साल में पहली बार ब्याज दरों...

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक बुधवार को मुंबई में शुरू हुई, जिसमें देश की आर्थिक नीतियों से जुड़े अहम फैसले लिए जा रहे हैं। शुक्रवार को बैठक के नतीजे सामने आएंगे और माना जा रहा है कि पांच साल में पहली बार ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। आखिरी बार मई 2020 में ब्याज दरों में कमी की गई थी, जब कोविड लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए रेपो रेट 4% कर दिया गया था। इसके बाद वैश्विक महंगाई और आर्थिक परिस्थितियों के चलते RBI ने ब्याज दरों में सात बार बढ़ोतरी कर इसे 6.5% तक पहुंचा दिया। फरवरी 2023 से दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन इस बैठक से नए फैसलों की उम्मीद की जा रही है।

अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती हो सकती है लेकिन कुछ इकनॉमिस्ट्स का कहना है कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर ऐसे ही धमकियां देते रहे तो रेपो रेट में कटौती जल्दबाजी होगी। इससे वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। कम ब्याज दरों से रुपए पर भी दबाव पड़ सकता है। विदेशी निवेशकों के लिए अमेरिकी डेट ज्यादा आकर्षक हो सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री दीपनविता मजूमदार ने कहा कि IMF की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अनिश्चितता को कारण ग्रोथ को जोखिम है। यह RBI को दरों में कटौती शुरू करने के लिए प्रेरित कर सकता है। दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के लिए, दरों में कटौती पहले शुरू हो गई थी, जिससे उन्हें 'वेट एंड वॉच' अप्रोच के लिए समय मिल गया। उन्होंने कहा कि मैक्रो और जियो-पॉलिटिकल कारकों को संतुलित करते रेपो रेट में 25 बीपीएस की कटौती की गुंजाइश है।

इस नीतिगत बैठक में RBI के दो नए सदस्य गवर्नर संजय मल्होत्रा और डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव शामिल हैं। मल्होत्रा ने हाल ही में 1.5 लाख करोड़ रुपए की नकदी डालने के उपायों की घोषणा की। इसे दरों में बदलाव का रास्ता साफ करने वाला कदम माना जा रहा है। दरों में कटौती के बावजूद नकदी की कमी से उधार लेने की लागत अधिक रह सकती है। सरकार ने ब्याज दरों में कटौती का समर्थन किया है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। इसमें कमी होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसका असर आम लोगों के लोन पर भी पड़ता है। लोन की EMI कम हो सकती है।

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