Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jan, 2025 10:57 AM
साल बदल गया, लेकिन विदेशी निवेशकों का बिकवाली का रुख अब भी बरकरार है। इस महीने अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजारों से 22,194 करोड़ रुपए की निकासी की है। कमजोर तिमाही नतीजों की आशंका, डॉलर की मजबूती और ट्रंप प्रशासन में...
बिजनेस डेस्कः साल बदल गया, लेकिन विदेशी निवेशकों का बिकवाली का रुख अब भी बरकरार है। इस महीने अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजारों से 22,194 करोड़ रुपए की निकासी की है। कमजोर तिमाही नतीजों की आशंका, डॉलर की मजबूती और ट्रंप प्रशासन में टैरिफ वॉर बढ़ने की संभावना ने एफपीआई को बिकवाल बनाए रखा है। इसके विपरीत, दिसंबर में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 15,446 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के चलते विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों में अपनी हिस्सेदारी घटा दी है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, "एफपीआई की बिकवाली के पीछे कई कारक हैं, जिनमें कमजोर तिमाही नतीजों की संभावना, टैरिफ वॉर का डर, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सुस्ती, महंगाई का उच्च स्तर और भारत में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता शामिल हैं।"
डॉलर इंडेक्स में तेजी
इसके अलावा भारतीय रुपए का रिकॉर्ड निचला स्तर, अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में उछाल और भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भी एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (10 जनवरी तक) अबतक शेयरों से 22,194 करोड़ रुपए निकाले हैं। दो जनवरी को छोड़कर सभी कारोबारी सत्रों में एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, ‘एफपीआई की लगातार बिकवाली का एकमात्र बड़ा कारण डॉलर इंडेक्स में लगातार बढ़ोतरी है, जो अब 109 से ऊपर है। 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल 4.6 प्रतिशत से ऊपर है, जिसकी वजह से निवेशक उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं।’ बीते साल यानी 2024 में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया है। वहीं 2023 में उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में बड़ी राशि यानी 1.71 लाख करोड़ रुपए डाले थे।