1991 के आर्थिक सुधार से आगे बढ़ने की जरूरत, कैपिटल मार्केट में बड़े रिफॉर्म पर सोचना होगा, तभी आएगा निवेशः CEA

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 May, 2024 01:47 PM

there is a need to move ahead from the economic reforms of 1991

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतें पूरी करने के लिए देश को पूंजी बाजार में और सुधार करने की जरूरत है। नागेश्वरन ने उद्योग मंडल सीआईआई के एनुअल बिजनेस समिट में कहा, ‘‘कैपिटल मार्केट रिफॉर्म...

नई दिल्लीः भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतें पूरी करने के लिए देश को पूंजी बाजार में और सुधार करने की जरूरत है। नागेश्वरन ने उद्योग मंडल सीआईआई के एनुअल बिजनेस समिट में कहा, ‘‘कैपिटल मार्केट रिफॉर्म पिछले तीन दशकों में प्रौद्योगिकी के सबसे सफल सुधारात्मक कदमों में से एक रहा है लेकिन हम एक ऐसे मोड़ पर हैं जहां हमें इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है इसीलिए पूंजी बाजार में सुधार के दूसरे चरण के बारे में सोचना होगा।’’

वर्ष 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने पूंजी बाजार सुधारों की शुरुआत की थी। इस क्रम में पूंजी बाजार के कुशल विनियमन और विकास के लिए 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना की गई थी।

इक्विटी के माध्यम से निवेश की जरूरत

सीईए ने यह भी कहा कि देश को समग्र और व्यापक तस्वीर के लिए लक्ष्य के अनुरूप निवेश को लेकर अनुमान लगाने की आवश्यकता है। इस निवेश को डेट और इक्विटी के माध्यम से पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि भारत कुछ महीनों में जेपी मॉर्गन सरकारी बॉन्ड सूचकांक में शामिल होगा…उसके बाद जनवरी 2025 से हम ब्लूमबर्ग बॉन्ड सूचकांक का भी हिस्सा होंगे। इससे देश में पूंजी आएगी।’

नागेश्वरन ने यह भी कहा कि भारत को विदेशी पूंजी प्रवाह पर निर्भरता को लेकर बहुत सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन से पांच साल में हमें वैश्विक वित्तपोषण पर निर्भरता की सीमा के बारे में सतर्क रहने की जरूरत है लेकिन 2047 की यात्रा के दूसरे चरण में मुझे लगता है कि हमारे लिए विदेशों से बड़ी मात्रा में पूंजी लेने के अवसर होंगे।’’
 

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