Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Aug, 2024 11:17 AM
वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में बदलाव के सुझाव देने के लिए गठित राज्यों के मंत्रियों के समूह की राय है कि जीएसटी के मौजूदा चार कर स्लैब को फिलहाल बनाए रखा जाए और इसमें कोई बदलाव न किया जाए। मंत्रिसमूह के संयोजक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट...
बिजनेस डेस्कः वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में बदलाव के सुझाव देने के लिए गठित राज्यों के मंत्रियों के समूह की राय है कि जीएसटी के मौजूदा चार कर स्लैब को फिलहाल बनाए रखा जाए और इसमें कोई बदलाव न किया जाए। मंत्रिसमूह के संयोजक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बैठक के बाद बताया कि कुछ सदस्यों ने GST कर स्लैब में कोई बदलाव न करने की मांग की है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल प्रारंभिक चर्चा थी और अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
जीएसटी दरों में संभावित बदलावों पर चर्चा और आगे की कार्यवाही पर विचार करने के लिए मंत्रियों के समूह की बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। बैठक में समूह ने केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारियों को सुझाव दिया कि वे व्यापक स्तर पर उपभोग की वस्तुओं की दरों में बदलाव के प्रभाव का मूल्यांकन करें और 9 सितंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के मंत्रियों की राय
पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, ने कहा कि उन्होंने जीएसटी कर स्लैब में कोई बदलाव न करने की बात कही है और इस पर परिषद के समक्ष प्रस्तुति दी जाएगी। कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने कहा कि जीएसटी प्रणाली पहले से ही स्थिरता प्राप्त कर चुकी है, इसलिए इसमें फेरबदल करने से कोई खास लाभ नहीं होगा।
वर्तमान में जीएसटी के तहत पांच कर स्लैब हैं- शून्य, 5%, 12%, 18% और 28%। विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 28% की अधिकतम दर के अलावा उपकर भी लगाया जाता है। मंत्रियों का समूह इस बारे में स्थिति रिपोर्ट आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में प्रस्तुत कर सकता है।
फिटमेंट समिति ने मंत्रिसमूह को मौजूदा चार-स्लैब वाले कर ढांचे को बदलने के लिए तीन विकल्प सुझाए हैं:
- पहला 8%, 16% और 24%
- दूसरा 9%, 18% और 27%
- तीसरा 7%, 14% और 21%
इसके अलावा मंत्रिसमूह ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी के मुद्दे पर भी चर्चा की, जिसे फिटमेंट समिति के पास भेजा गया था। कर्नाटक के मंत्री ने कहा कि उन्होंने समिति से इस पर और रिपोर्ट मांगी है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह एजेंडे का हिस्सा है या नहीं।