Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Feb, 2025 10:50 AM
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के निवेश के तरीके में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। श्रम और रोजगार मंत्रालय, वित्त मंत्रालय से ईपीएफओ के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश को 20% से घटाकर 10% करने की मंजूरी मांगेगा। यह बदलाव नवंबर 2024 में ईपीएफओ के...
बिजनेस डेस्कः कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के निवेश के तरीके में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। श्रम और रोजगार मंत्रालय, वित्त मंत्रालय से ईपीएफओ के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश को 20% से घटाकर 10% करने की मंजूरी मांगेगा। यह बदलाव नवंबर 2024 में ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में मंजूर हुआ था। इस कदम के पीछे मुख्य कारण पब्लिक सेक्टर बॉन्ड्स में कम रिटर्न और उनकी कम सप्लाई बताई जा रही है।
यह फैसला क्यों अहम है?
ईपीएफओ द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड के बजाय कॉर्पोरेट बॉन्ड में अधिक निवेश करने का निर्णय कई कारणों से महत्वपूर्ण है। कॉर्पोरेट बॉन्ड आमतौर पर सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं, जिससे कर्मचारियों की रिटायरमेंट बचत को अधिक फायदा हो सकता है। हालांकि, इनमें जोखिम भी अधिक होता है, क्योंकि इन्हें जारी करने वाली कंपनियों के दिवालिया होने की संभावना रहती है।
जोखिम को कम करने के लिए ईपीएफओ को आर्थिक रूप से मजबूत कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करना होगा। इस फैसले से निवेश पोर्टफोलियो में विविधता आएगी और संभावित रूप से ईपीएफओ को बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
फैसले की जरूरत क्यों पड़ी?
ईपीएफओ मुख्य रूप से सरकारी कंपनियों (PSUs) के बॉन्ड में निवेश करता था, लेकिन इनसे मिलने वाला रिटर्न कम हो रहा था और पर्याप्त बॉन्ड उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में, उच्च रिटर्न के लिए कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने की योजना बनाई गई है। हालांकि, इनमें जोखिम अधिक होता है, इसलिए निवेश की प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करने की जरूरत होगी।
फैसले को कब मंजूरी मिली?
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीटी ने इस प्रस्ताव को नवंबर 2024 की बैठक में मंजूरी दी थी। श्रम मंत्री की औपचारिक स्वीकृति के बाद श्रम मंत्रालय इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय को भेजेगा। ईपीएफओ को निवेश में अधिक लाभ प्राप्त करने और सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड की सीमित उपलब्धता से निपटने के लिए यह कदम उठाना पड़ा।
कर्मचारियों को क्या फायदा होगा?
अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो इससे कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट को बढ़ावा मिलेगा और ईपीएफओ को बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। हालांकि, निवेश के साथ जुड़े जोखिमों को देखते हुए, ईपीएफओ को कंपनियों की वित्तीय स्थिति की नियमित निगरानी करनी होगी। इस बदलाव का प्रभाव शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है, क्योंकि यह निवेश के तरीकों में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा और ईपीएफओ के करोड़ों सदस्यों के भविष्य को प्रभावित करेगा।