नोएल टाटा के आते ही Tata Group में हुआ बड़ा बदलाव, ट्रस्ट ने लिया ये अहम फैसला

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Oct, 2024 02:17 PM

there was a big change in the tata group

दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) का चेयरमैन बनाया गया है। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में करीब 66 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस 165 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप की...

बिजनेस डेस्कः दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) का चेयरमैन बनाया गया है। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में करीब 66 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस 165 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। नोएल टाटा के टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनने के बाद इसमें एक अहम बदलाव हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी अब स्थायी सदस्य बन गए हैं। इससे पहले नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होती थी। इस कदम के बाद, बोर्ड के सदस्य तब तक रिटायर नहीं होंगे जब तक वे इस्तीफा देने का फैसला नहीं कर लेते और नए सदस्यों की नियुक्ति ट्रस्ट के सभी सदस्यों की सहमति के बाद ही की जाएगी। गुरुवार को दोनों ट्रस्टों की बोर्ड बैठक में यह फैसला लिया गया। 

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67 साल के नोएल टाटा को 11 अक्टूबर को चेयरमैन बनाए जाने के बाद ट्रस्ट्स की यह दूसरी बैठक थी। टाटा संस में सर रतन टाटा ट्रस्ट की 27.98 फीसदी और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की 23.56 फीसदी हिस्सेदारी है यानी टाटा संस में इन दोनों ट्रस्टों की 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। रिपोर्ट के मुताबिक एक सूत्र ने बताया कि सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के सभी सदस्य अब स्थायी मेंबर होंगे। अब तक उनका कार्यकाल केवल तीन साल का होता था। सर रतन टाटा ट्रस्ट की स्थापना 1919 में और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की स्थापना 1932 में हुई थी।

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रतन टाटा की वसीयत

सर रतन टाटा ट्रस्ट में सात सदस्य हैं जबकि सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में छह सदस्य हैं। नोएल टाटा के साथ-साथ पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी विजय सिंह, वेणु श्रीनिवासन, मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा दोनों ट्रस्टों में शामिल हैं। मेहली मिस्त्री और डेरियस खंबाटा को दिवंगत रतन टाटा का करीबी माना जाता है। रतन टाटा ने अपनी वसीयत को एक्जीक्यूट करने की जिम्मेदारी मेहली मिस्त्री और डेरियस खंबाटा को दी है। रतन टाटा अपने पीछे करीब 7,900 करोड़ रुपए की संपत्ति छोड़ गए हैं।
 

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