सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विनिवेश को आगे बढ़ाने का समय: SBI रिपोर्ट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jul, 2024 06:19 PM

time to push disinvestment in public sector banks sbi report

सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में विनिवेश को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि वे अच्छी स्थिति में हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट में मौजूदा सरकारी बैंकों को सुदृढ़...

नई दिल्लीः सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में विनिवेश को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि वे अच्छी स्थिति में हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट में मौजूदा सरकारी बैंकों को सुदृढ़ करने पर भी जोर दिया गया है। ‘केंद्रीय बजट 2024-25 की प्रस्तावना' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चूंकि बैंक अच्छी स्थिति में हैं, इसलिए सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश को लेकर आगे बढ़ना चाहिए।'' इसमें आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के संबंध में कहा कि सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) बैंक में लगभग 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रहे हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘उन्होंने अक्टूबर, 2022 में खरीदारों से बोलियां आमंत्रित कीं। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को जनवरी, 2023 में पेशकश पर आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी के लिए कई रुचि पत्र प्राप्त हुए। हमें उम्मीद है कि सरकार बजट में इसे स्पष्ट करेगी।'' वर्तमान में, आईडीबीआई बैंक में सरकार की 45 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है और (एलआईसी) की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार को जमा ब्याज पर कर में बदलाव करना चाहिए और म्यूचुअल फंड तथा शेयर बाजारों के अनुरूप विभिन्न परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर एक जैसा व्यवहार करना चाहिए। 

इसमें कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.3 प्रतिशत हो गई और 2023-24 में इसके 5.4 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। यदि हम म्यूचुअल फंड के अनुरूप जमा दर को आकर्षक बनाते हैं, तो इससे घरेलू वित्तीय बचत और चालू खाता और बचत खाता (कासा) में वृद्धि हो सकती है।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि यह राशि जमाकर्ताओं के हाथ में होगी, इससे अतिरिक्त खर्च हो सकता है और इस तरह सरकार को अधिक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व मिलेगा। 

इसमें कहा गया है, ‘‘बैंक जमा में वृद्धि से न केवल मूल जमा आधार और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता आएगी बल्कि घरेलू बचत में भी वित्तीय स्थिरता आएगी क्योंकि बैंक प्रणाली बेहतर तरीके से नियमन के दायरे में है और उच्च जोखिम/अस्थिरता वाले अन्य विकल्पों की तुलना में इसको लेकर लेकर ज्यादा भरोसा है।'' एसबीआई की आर्थिक शोध रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि सरकार दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से जुड़ी चिंताओं पर गौर करेगी। इसमें सुधार किया जाना चाहिए और आईबीसी के तहत मामलों में तेजी लाने पर ध्यान देना चाहिए। 

आईबीसी के माध्यम से वसूली वित्त वर्ष 2023-24 में 32 प्रतिशत रही और वित्तीय कर्जदाताओं ने अपने दावों का 68 प्रतिशत गंवाया। इसमें कहा गया है कि समाधान तक पहुंचने में 330 दिन के बजाय 863 दिन का समय लग रहा है। इसमें कहा गया है, ‘‘आईबीसी दबाव वाली परिसंपत्तियों के निपटान के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है लेकिन इसके लिए बाजार को आगे बढ़ाने को लेकर संभावित समाधान आवेदकों के दायरे को व्यापक बनाने की जरूरत है...।'' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद में 2024-25 का बजट पेश कर सकती हैं। 
 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!