Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Sep, 2024 11:10 AM
प्याज और खाद्य तेल के बाद अब टमाटर की कीमतें जेब पर बोझ बढ़ा सकती हैं। जल्द ही टमाटर के भाव बढ़ सकते हैं क्योंकि महाराष्ट्र के नासिक जिले में टमाटर की फसल कीटों और रोगों के प्रकोप से प्रभावित हो रही है। निफाड क्षेत्र के किसान 'सरपेन्टाइन लीफ माइनर'...
बिजनेस डेस्कः प्याज और खाद्य तेल के बाद अब टमाटर की कीमतें जेब पर बोझ बढ़ा सकती हैं। जल्द ही टमाटर के भाव बढ़ सकते हैं क्योंकि महाराष्ट्र के नासिक जिले में टमाटर की फसल कीटों और रोगों के प्रकोप से प्रभावित हो रही है। निफाड क्षेत्र के किसान 'सरपेन्टाइन लीफ माइनर' नामक कीट से परेशान हैं, जो टमाटर सहित अन्य सब्जियों को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट लिरियोमाइजा ब्रासिका मक्खी का लार्वा होता है, जो पत्तियों में सुरंग बनाकर पौधों को कमजोर कर देता है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, नासिक जिले के टमाटर के खेतों में कीटों और रोगों का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि यह आर्थिक नुकसान की स्थिति तक पहुंच गया है। इस स्थिति को 'इकनॉमिक थ्रेशहोल्ड लेवल (ETL)' कहा जाता है, जहां फसलों को बचाने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता होती है लेकिन पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
महाराष्ट्र में टमाटर की बुवाई पिछड़ी
महाराष्ट्र टमाटर की बुवाई में भी पिछड़ गया है। नासिक में टमाटर की औसत खेती लगभग 21,000 हेक्टेयर में होती है, जिसमें प्रति हेक्टेयर 30 टन का उत्पादन होता है। पिंपलगांव से दिल्ली, मध्य प्रदेश, असम और हरियाणा सहित विभिन्न बाजारों में टमाटर की आपूर्ति की जाती है, जबकि कुछ मात्रा बांग्लादेश और पाकिस्तान को निर्यात भी की जाती है।
अन्य फसलों पर असर
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में धान की फसल "लीफ फोल्डर" कीट से प्रभावित हो रही है, जिससे 11 हेक्टेयर क्षेत्र पर असर पड़ा है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में गन्ने में लाल सड़न (गन्ने का कैंसर) की समस्या देखी गई है।
आलू और प्याज की बुवाई कम
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस साल आलू और प्याज की बुवाई लक्षित क्षेत्रों से कम हो रही है। 2.89 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से केवल 1.55 लाख हेक्टेयर में टमाटर की बुवाई हुई है, जबकि आलू की बुवाई 0.41 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से सिर्फ 0.30 लाख हेक्टेयर में हुई है। वहीं, प्याज की बुवाई भी अपेक्षाकृत कम रही है।