Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Apr, 2025 01:38 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे बड़ा झटका खुद अमेरिका को लग सकता है। इस नीति से अमेरिका की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। रोजनबर्ग रिसर्च के संस्थापक और प्रमुख...
बिजनेस डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे बड़ा झटका खुद अमेरिका को लग सकता है। इस नीति से अमेरिका की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। रोजनबर्ग रिसर्च के संस्थापक और प्रमुख अर्थशास्त्री डेविड रोजनबर्ग का मानना है कि 2025 के अंत तक अमेरिका मंदी में जा सकता है। रोजनबर्ग वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर अपने विश्लेषण और दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वह मेरिल लिंच के चीफ इकोनॉमिस्ट रह चुके हैं।
पहले से दबाव में अमेरिकी अर्थव्यवस्था
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर वृद्धि दर का सामना कर रही थी। एक महीने पहले ही रोजनबर्ग ने अनुमान लगाया था कि 2025 में अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ 1% से भी कम रह सकती है। अब ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा से यह खतरा और बढ़ गया है। यदि किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाहियों तक गिरती है, तो उसे मंदी में माना जाता है।
ग्लोबल ट्रेड पर बुरा असर
अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ से अमेरिका पर अन्य देश भी जवाबी शुल्क लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार को गंभीर झटका लगेगा। अमेरिका का व्यापारिक भागीदार चीन, यूरोप और अन्य देश भी प्रतिक्रिया में नए टैरिफ और व्यापारिक प्रतिबंध लगा सकते हैं।
शेयर बाजार और महंगाई को झटका
अगर ग्लोबल ट्रेड में गिरावट आती है, तो शेयर बाजारों में लंबी मंदी (बेयर फेज) देखने को मिल सकती है। हालांकि, इस टैरिफ से अमेरिका को इंपोर्ट ड्यूटी के रूप में अतिरिक्त राजस्व मिलेगा लेकिन इससे देश में मुद्रास्फीति (इनफ्लेशन) भी तेजी से बढ़ सकती है।
भारत को सीमित असर, घरेलू मांग बनी रहेगी मजबूत
विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका की मंदी का असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा लेकिन भारत को इससे सीमित झटका लगेगा। भारत की अर्थव्यवस्था में घरेलू मांग की अधिक हिस्सेदारी होने के कारण, अमेरिका की तुलना में इसका असर कम रहने की उम्मीद है।
अमेरिका की जीडीपी 27 ट्रिलियन डॉलर है, जो भारत की तुलना में लगभग 7 गुना अधिक है। ऐसे में अगर अमेरिका मंदी में जाता है, तो वैश्विक बाजारों के लिए यह बुरी खबर होगी।