Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Mar, 2025 01:01 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक जल्द होने वाली है, जिसमें रेपो रेट में कटौती की संभावना जताई जा रही है। इस बीच एशिया के सबसे अमीर बैंकरों में से एक, उदय कोटक ने बैंकों के सामने आ रही एक गंभीर समस्या पर चिंता जताई है।
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक जल्द होने वाली है, जिसमें रेपो रेट में कटौती की संभावना जताई जा रही है। इस बीच एशिया के सबसे अमीर बैंकरों में से एक, उदय कोटक ने बैंकों के सामने आ रही एक गंभीर समस्या पर चिंता जताई है।
बैंकों की जमा राशि घट रही है
कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने X पर लिखा, "अगर डिपॉजिट की कमी जारी रहती है, तो यह बैंकिंग बिजनेस मॉडल के लिए खतरा बन जाएगी।" उन्होंने बताया कि बैंकों के पास कम लागत वाली रिटेल जमा की वृद्धि धीमी हो रही है, जिससे वे महंगे बल्क डिपॉजिट पर निर्भर हो रहे हैं।
बैंकों को हो रहा नुकसान
- बड़े बैंक अभी 8% ब्याज दर पर थोक जमा (Bulk Deposits) स्वीकार कर रहे हैं।
- इसके चलते उनकी कुल जमा लागत 9% से अधिक हो गई है।
- बैंक 8.5% की फ्लोटिंग रेट पर होम लोन दे रहे हैं, जबकि उनकी उधार लागत 9% है, जिससे उन्हें 0.5% का नुकसान हो रहा है।
बैंकिंग सेक्टर पर असर
- CRR (Cash Reserve Ratio): बैंकों को जमा राशि का कुछ हिस्सा RBI के पास रखना होता है, जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलता।
- SLR (Statutory Liquidity Ratio): बैंकों को अपनी जमा राशि का कुछ हिस्सा सरकारी बॉन्ड में निवेश करना होता है।
- डिपॉजिट इंश्योरेंस: बैंकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि अगर बैंक डूब जाए, तो ग्राहकों को उनका पैसा वापस मिले।
- प्रायोरिटी सेक्टर लोन: बैंकों को कृषि और छोटे व्यवसायों को कर्ज देना होता है।
रेपो रेट में कटौती की संभावना
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अप्रैल में पॉलिसी रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती हो सकती है। इससे पहले फरवरी में इसे 6.25% तक घटाया गया था। अगर रेपो रेट और कम होता है, तो बैंकों के लिए लोन की ब्याज दरें और जमा दरों को संतुलित रखना मुश्किल हो जाएगा।