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UPI और Open Banking से भारत में ऋण की पहुंच बढ़ी, फाइनेंशियल एनक्ल्यूशन को मिली नई दिशा

Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Dec, 2024 08:17 PM

upi and open banking increased access to credit in india

भारत में वित्तीय सेवाओं (Financial Services) की उपलब्धता और ऋण प्राप्ति में डिजिटल प्रौद्योगिकी ने एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है। खासकर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और ओपन बैंकिंग के माध्यम से, अब ज्यादा से ज्यादा लोग और छोटे व्यापारी वित्तीय...

बिजनेस डेस्क: भारत में वित्तीय सेवाओं (Financial Services) की उपलब्धता और ऋण प्राप्ति में डिजिटल प्रौद्योगिकी ने एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है। खासकर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और ओपन बैंकिंग के माध्यम से, अब ज्यादा से ज्यादा लोग और छोटे व्यापारी वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। इन तकनीकों ने न केवल भुगतान प्रणाली को आसान और तेज़ बनाया है, बल्कि ऋण की पहुंच को भी बढ़ाया है। आइए जानते हैं इन तकनीकों के द्वारा वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और ऋण प्राप्ति में आए बदलावों के बारे में मुख्य बातें:

वित्तीय समावेशन में UPI की अभूतपूर्व भूमिका: 
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की 2016 में शुरूआत होने के बाद से, इसने भारत में वित्तीय सेवाओं को हासिल करना पूरी तरह बदल दिया है, जिससे 300 मिलियन व्यक्ति और 50 मिलियन व्यापारी निर्बाध डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम हुए हैं। अक्टूबर 2023 तक, भारत में सभी खुदरा डिजिटल भुगतानों में से 75 प्रतिशत यूपीआई के माध्यम से हुए।

सीमांत उधारकर्ताओं को सशक्त बनाना:

  • यूपीआई ने सेवाओं तक सीमित पहुंच वाली आबादी, जिनमें समय पर ऋण नहीं चुकाने वालों के लिए ऋण की व्‍यवस्‍था और ऐसे व्‍यक्ति जिनका ऋण का पिछला कोई इतिहास नहीं रहा और उन्‍होंने पहली बार ऋण लिया है, उनकी यूपीआई अपनाने वाले क्षेत्रों में पहली बार औपचारिक ऋण तक पहुंच बनाई है।
  • नए ऋण लेने वालों को दिए गए ऋण में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तथा समय पर ऋण नहीं चुकाने वालों को दिए गए ऋण में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • फिनटेक ऋण का औसत आकार ₹27,778 था - जो ग्रामीण मासिक व्यय का लगभग 7 गुना था। 
  • फिनटेक ऋणदाताओं ने तेजी से अपना विस्तार किया, अपने ऋण की मात्रा में 77 गुना वृद्धि की, छोटे, वंचित उधारकर्ताओं को ऋण देने में पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे निकल गए।


उत्प्रेरक के रूप में किफायती इंटरनेट:

  • डिजिटल प्रौद्योगिकी पर खर्च करने की सामर्थ्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यूपीआई को व्यापक रूप से अपनाया जा सका। 

UPI के माध्यम से ऋण वृद्धि:

  • यूपीआई लेनदेन में 10 प्रतिशत की वृद्धि से ऋण उपलब्धता में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो दर्शाता है कि कैसे डिजिटल वित्तीय इतिहास ने ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में सक्षम बनाया। 
  • 2015 और 2019 के बीच, ऋण नहीं चुकाने वाले उधारकर्ताओं को दिए गए फिनटेक ऋण बैंकों के बराबर हो गए, और फिनटेक उच्च यूपीआई-उपयोग वाले क्षेत्रों में फल-फूल रहे हैं।

ऋण का सुरक्षित विस्तार: 

  • ऋण वृद्धि के बावजूद, डिफ़ॉल्ट दरें नहीं बढ़ीं, जिससे पता चलता है कि यूपीआई-सक्षम डिजिटल लेनदेन डेटा ने उधारदाताओं को जिम्मेदारी से विस्तार करने में मदद की। 

वैश्विक प्रभाव:

  • यूपीआई के साथ भारत की सफलता अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत करती है, जो दर्शाती है कि कैसे सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे को ओपन बैंकिंग नीतियों के साथ जोड़कर मुख्‍य वित्तीय सेवाओं तक लोगों की पहुंच नहीं होने की स्थिति में सुधार किया जा सकता है, नवाचार और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।

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