UPS राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं, स्वतंत्र निर्णय ले सकती है प्रदेश सरकार: वित्त मंत्री सीतारमण

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Aug, 2024 03:49 PM

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) ‘राज्यों के लिए अनिवार्य’ नहीं है क्योंकि वे स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हैं। मगर उन्होंने उम्मीद जताई कि अ​धिकतर राज्य यूपीएस को लागू करेंगे क्योंकि इसमें कर्मचारियों...

नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) ‘राज्यों के लिए अनिवार्य’ नहीं है क्योंकि वे स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हैं। मगर उन्होंने उम्मीद जताई कि अ​धिकतर राज्य यूपीएस को लागू करेंगे क्योंकि इसमें कर्मचारियों के लिए बहुत सारे लाभ हैं।

सीतारमण ने कहा, ‘एकीकृत पेंशन योजना मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में सुधार करने का एक प्रयास है। यूपीएस के तहत पेंशन की गारंटी लागू करना किसी निर्णय को वापस लेने या यू-टर्न नहीं है। यह स्पष्ट रूप से एक नया पैकेज है।’ केंद्र द्वारा यूपीएस लाने की घोषणा के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने पहले इसे ‘रोलबैक सरकार’ कहते हुए चुटकी ली थी। सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस पार्टी नारेबाजी करने वाली पार्टी बन गई है।

9 सितंबर को प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक के एजेंडे पर चर्चा करते हुए सीतारमण ने कहा कि इसमें जीएसटी दरों को वाजिब बनाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा, ‘मंत्रियों का समूह रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए अभी और बैठकें करेगा।’

वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीएस उन समस्याओं का समाधान करेगा जो पुरानी पेंशन योजना और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में सामने आई है। उन्होंने कहा, ‘यदि कर्मचारियों की सेवा अवधि 25 वर्ष से कम है तो यूपीएस के तहत लाभ आनुपातिक आधार पर दिया जाएगा। पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण यूपीएस के कोष की जिम्मेदारी संभालेगा।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि यूपीएस के लिए कर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन से जुड़े अधिक लाभ देने के लिए केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने बीते शनिवार को यूपीएस को मंजूरी दी थी। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी हो जाएगी और सरकार के अनुसार केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।

सरकार के अनुसार यूपीएस में बकाया भुगतान के मद में 800 करोड़ रुपए की जरूरत होगी और पहले साल इस योजना पर लगभग 6,250 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
 

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