वेदांता समूह संस्था बनेगा, मेरे परिवार के हाथ में नहीं जाएगा: अनिल अग्रवाल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Jun, 2021 10:56 AM

vedanta group will become an institution will not go into the hands

वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि उनकी कंपनी को किसी भी कीमत पर एक संस्था का रूप दिया जाएगा और यह उनकी परिवार की कंपनी नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि कंपनी का संचालन रक्षात्मक नहीं होगा। अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमारी कंपनी

बिजनेस डेस्कः वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि उनकी कंपनी को किसी भी कीमत पर एक संस्था का रूप दिया जाएगा और यह उनकी परिवार की कंपनी नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि कंपनी का संचालन रक्षात्मक नहीं होगा। अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमारी कंपनी हमारे परिवार के हाथ में नहीं जाएगी। हमारा परिवार भी संस्थान है, एक पूर्ण संस्थान। यदि परिवार भविष्य में वेदांता के संचालन में सक्षम हो जाता है, तो अलग बात है लेकिन कंपनी का संचालन रक्षात्मक तरीके से नहीं हो सकता।'' 

अग्रवाल ने फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) द्वारा आयोजित वेबिनार ‘वेदांता ऑफ बिजनेस' को संबोधित करते हुए यह बात कही। धातु और खनन क्षेत्र के दिग्गज ने कहा, ‘‘हम भारत में सबसे बड़े तेल उत्पादक हैं। हम चांदी और जस्ते के सबसे बड़े उत्पादक हैं। हम वेदांता को संस्था का रूप देने के लिए कोई भी मूल्य चुकाएंगे। मेरा मानना है कि (कंपनी की कमाई का) 75 प्रतिशत समाज के पास जाना चाहिए। परिवार के लिए 25 प्रतिशत बहुत है।'' 

अग्रवाल का मानना है कि भारत उद्यमियों का देश है और स्थान, युवा प्रतिभा, प्राकृतिक संसाधन तथा तीन तरफ समुद्र होने के फायदे से देश आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया शुरू की है लेकिन यह अभी बहुत धीमी है और विकास के लिए इसमें तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटेन समेत ज्यादातर देश विनिवेश की प्रक्रिया से गुजरे हैं और इससे इन देशों को आर्थिक विकास में मदद मिली है। विनिवेश प्रक्रिया से सभी को मदद मिलती है। भारत में न्यायपालिका को भी विनिवेश प्रक्रिया को समझना चाहिए और मदद करनी चाहिए। विनिवेशित कंपनियों को ट्रस्ट के रूप में चलाया जाना चाहिए।'' 

अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारत उद्यमियों का देश है और स्थान, युवा प्रतिभा, प्राकृतिक संसाधन तथा तीन तरफ समुद्र होने के फायदे से देश आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। लेकिन दुनिया हमेशा भारत को एक बाजार के रूप में देखती है और इसे कभी विकसित होते नहीं देखना चाहती। हालांकि वर्तमान में आत्मनिर्भरता की प्रक्रिया को बल मिला है और नए विचारों के साथ युवा तथा स्टार्टअप देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।'' 

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में सोने, खनिजों का सबसे बड़ा भंडार है। अब इन संसाधनों को तलाशने का समय आ गया है और विशेष रूप से युवा और महिला उद्यमीयों को यह करना होगा। दुनिया भर में औसतन 44 प्रतिशत उद्यमी महिलाए हैं और विभिन्न कंपनियों की प्रमुख हैं। भारत में यह अभी भी लगभग 20 प्रतिशत है। महिलाओं के ऊपर आने समय आ गया है।'' इस दौरान एफएलओ की अध्यक्ष उज्ज्वला सिंघानिया ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एफएलओ ने देशभर में 130 गांवों को गोद लिया हैं। 

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