Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Sep, 2024 01:59 PM
टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) और इंडस टावर्स (Indus Towers) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जोर का झटका लगा है। कंपनी का स्टॉक करीब 20 प्रतिशत लुढ़क गया। निवेशकों ने बड़ी राशि आज गंवाई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों...
बिजनेस डेस्कः टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) और इंडस टावर्स (Indus Towers) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जोर का झटका लगा है। कंपनी का स्टॉक करीब 20 प्रतिशत लुढ़क गया। निवेशकों ने बड़ी राशि आज गंवाई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ समायोजित सकल राजस्व के फैसले को बरकरार रखने और एजीआर मांग की मात्रा को बरकरार रखने का फैसला दिया, जिसका असर टेलीकॉम कंपनियों के स्टॉक पर देखने को मिला।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उल्लेख किया कि उसने क्यूरेटिव याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों को देखा है, साथ ही कहा कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा कोई मामला नहीं बनाया गया है। टेलीकॉम कंपनियों ने एजीआर बकाया की गणना में अंकगणितीय त्रुटियों का दावा किया था।
वोडाफोन आइडिया 20 फीसदी फिसला
सुप्रीम कोर्ट के टेलीकॉम कंपनियों के क्यूरेटिव याचिका को खारिज करने के चलते वोडाफोन आइडिया और इंडस टावर के स्टॉक में बेहद तेज गिरावट देखने को मिली है। वोडाफोन आइडिया का स्टॉक (Vodafone Idea Share) 20 फीसदी तक नीचे जा लुढ़का। वोडाफोन आइडिया का शेयर करीब 20 फीसदी की गिरावट के साथ पिछले क्लोजिंग प्राइस 12.90 रुपए से गिरकर 10.36 रुपए पर जा गिरा। फिलहाल स्टॉक 15.58 फीसदी की गिरावट के साथ 10.89 रुपए पर ट्रेड कर रहा है। वोडाफोन आइडिया का शेयर 11 रुपए के अपने एफपीओ प्राइस (FPO Price) से भी नीचे जा गिरा है।
इंडस टावर के शेयर में 15 फीसदी की गिरावट
इंडस टावर का शेयर (Indus Tower Share) पिछले क्लोजिंग से करीब 15 फीसदी की गिरावट के साथ 366.35 रुपए तक नीचे जा फिसला। फिलहाल इंडस टावर 9.67 फीसदी की गिरावट के साथ 386.85 रुपए पर कारोबार कर रहा है। हालांकि भारतीय एयरटेल का स्टॉक 2.50 फीसदी की तेजी के साथ ट्रेड कर रहा है।
जुलाई 2024 में कंपनियों ने दायर की थी याचिका
वित्तीय संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया पर वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर तक 70,320 करोड़ रुपए का एजीआर बकाया था। कंपनी ने जुलाई महीने में कोर्ट के 2019 के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पेटीशन दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी।